व्यापार, नवाचार और सेवा का संगम : मुसलमानों का भारत निर्माण में अनमोल योगदान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 12-08-2025
Muslim traders have contributed significantly to economic prosperity
Muslim traders have contributed significantly to economic prosperity

 

आवाज़ द वॉयस, नई दिल्ली

देश के मुसलमानों को राजनीतिक मंच पर भले ही कमतर आंका जाता हो, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अधिक प्रभावशाली और सम्मानजनक है. आजाद भारत के निर्माण में मुस्लिम कारोबारियों और उद्यमियों ने आर्थिक विकास और देश की वैश्विक छवि को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे न केवल देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तंभ बने हैं, बल्कि दवाई, चमड़ा, फैशन और सॉफ्टवेयर जैसे विविध क्षेत्रों में उनकी पकड़ आज भी मजबूत और असाधारण है.

इन उद्योगों में मुसलमानों के योगदान ने न सिर्फ रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, बल्कि भारत को विश्व मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाकर देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाई है. उनकी मेहनत, नवाचार और व्यवसायिक दूरदृष्टि ने यह साबित किया है कि आर्थिक सफलता के क्षेत्र में वे अग्रणी हैं. ऐसे मुस्लिम उद्यमी देश के समृद्धि के प्रेरणास्त्रोत हैं, जिनके बिना भारत का आर्थिक परिदृश्य अधूरा है.

अजीम प्रेमजी

अजीम प्रेमजी भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति, परोपकारी और शिक्षा सुधारक हैं. उनका जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन पिता की मृत्यु के बाद मात्र 21 वर्ष की उम्र में विप्रो का नेतृत्व संभाला. शुरुआत में यह कंपनी वनस्पति तेल बनाती थी, लेकिन प्रेमजी ने इसे एक वैश्विक आईटी और सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी में बदल दिया. उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने विप्रो को भारत की अग्रणी तकनीकी कंपनियों में स्थान दिलाया.

अजीम प्रेमजी को समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उनके बड़े योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारत के दूरदराज़ क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का कार्य करता है. वे अब तक अरबों रुपये समाज सेवा में दान कर चुके हैं और दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं में शामिल हैं.

उनके असाधारण योगदानों के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (2005) और पद्म विभूषण (2011) से सम्मानित किया. अजीम प्रेमजी न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि सादगी, ईमानदारी और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रेरणास्रोत भी हैं.

शहनाज़ हुसैन

शहनाज़ हुसैन भारत की प्रसिद्ध सौंदर्य विशेषज्ञ और उद्यमी हैं, जिन्हें हर्बल और आयुर्वेदिक सौंदर्य उत्पादों की दुनिया में क्रांति लाने का श्रेय जाता है. उनका जन्म 5 नवंबर 1944 को इलाहाबाद में एक प्रतिष्ठित न्यायिक परिवार में हुआ था. मात्र 15 वर्ष की उम्र में उनकी शादी हो गई और 16 की उम्र में वे माँ बन गईं. इसके बावजूद उन्होंने सौंदर्यशास्त्र की पढ़ाई ईरान, लंदन, पेरिस और अमेरिका जैसे देशों में की.

1971 में उन्होंने दिल्ली स्थित अपने घर से एक छोटे से हर्बल क्लिनिक की शुरुआत की. उस समय उन्होंने रासायनिक उत्पादों की बजाय शुद्ध प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाया. उनके द्वारा तैयार किया गया केसर युक्त त्वचा निखारने वाला उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद लोकप्रिय हुआ. उनकी कंपनी Shahnaz Husain Group आज 100 से अधिक देशों में मौजूद है, और उनके पास 380 से अधिक हर्बल फॉर्मूले हैं.

उन्हें 2006 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. वे हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, एलएसई जैसी प्रतिष्ठित जगहों पर भाषण दे चुकी हैं. शहनाज़ हुसैन ने न केवल भारतीय आयुर्वेद को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी बनीं.

हकीम अब्दुल हमीद

हकीम अब्दुल हमीद, एक ऐसा नाम जिसने न केवल यूनानी चिकित्सा पद्धति को पुनर्जीवित किया, बल्कि उसे वैश्विक पहचान दिलाई. 1906 में उनके पिता, हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने दिल्ली की एक गली में ‘हमदर्द’ की नींव रखी थी—एक छोटा सा यूनानी दवाखाना, जिसका उद्देश्य था लोगों की पीड़ा को साझा करते हुए प्रभावी और सस्ती दवाओं को जनसामान्य तक पहुँचाना.

पिता के असमय निधन के बाद, मात्र 14 वर्ष की आयु में हकीम अब्दुल हमीद ने हमदर्द की बागडोर संभाली और उसमें आधुनिक सोच का संचार किया. उन्होंने पारंपरिक यूनानी औषधियों को वैज्ञानिक पद्धतियों से जोड़कर एक औद्योगिक क्रांति खड़ी की. नई मशीनों, लैब्स और परीक्षणों के साथ उन्होंने हमदर्द को एक अग्रणी फार्मास्युटिकल संस्थान में बदल दिया.

उनकी दूरदृष्टि के परिणामस्वरूप 1948 में हमदर्द को वक्फ घोषित किया गया, जिससे सेवा और परोपकार इसके मूल सिद्धांत बन गए. उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, एविसेना अवार्ड सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले.

हकीम अब्दुल हमीद का जीवन एक प्रेरणा है—नवाचार, सेवा और समर्पण का प्रतीक. उनकी विरासत आज भी हमदर्द के हर पहलू में जीवित है.

यूसुफ ख्वाजा हमीद

डॉ. यूसुफ ख्वाजा हमीद एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक-उद्यमी और फार्मा कंपनी सिप्ला (Cipla) के चेयरमैन हैं. उनका जन्म 1936 में लLithuania में हुआ था और वे भारत में पले-बढ़े. उनकी शिक्षा केमिस्ट्री में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (UK) से हुई, जहाँ उन्होंने ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में पीएच.डी. की. डॉ. हमीद ने भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई, खासकर HIV/AIDS, मलेरिया और टीबी जैसी बीमारियों की सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवा कर. उन्होंने पेटेंट-मुक्त जेनेरिक दवाओं के जरिए फार्मास्युटिकल दुनिया में क्रांति ला दी.

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है—HIV के मरीजों के लिए ट्रिपल थेरेपी दवाएं मात्र एक डॉलर प्रतिदिन की कीमत पर उपलब्ध कराना, जब बाकी कंपनियां इन दवाओं को 10,000 डॉलर सालाना बेच रही थीं. इससे अफ्रीका समेत कई विकासशील देशों में इलाज सुलभ हो सका.

भारत सरकार ने डॉ. हमीद को 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. इसके अलावा उन्हें अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें अमेरिका और यूरोप की हेल्थ एजेंसियों द्वारा दिए गए कई सम्मान शामिल हैं. वे न केवल एक सफल उद्योगपति हैं, बल्कि मानवता के सच्चे सेवक भी हैं.

तौसीफ मिर्ज़ा

तमाम चुनौतियों और अड़चनों को पार करते हुए तौसीफ मिर्ज़ा ने भारतीय चमड़ा उद्योग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है. मिर्ज़ा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने केवल एक कंपनी का नहीं, बल्कि एक संपूर्ण उद्योग का कायाकल्प किया है. उनके दूरदर्शी नेतृत्व और नवोन्मेषी दृष्टिकोण ने भारत को वैश्विक चमड़ा और फुटवियर मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया है.

तौसीफ मिर्ज़ा के मार्गदर्शन में, मिर्ज़ा इंटरनेशनल देश के सबसे बड़े चमड़ा उत्पाद निर्यातकों में से एक बन गई है. स्टीव मैडेन, मार्क्स एंड स्पेंसर, केनेथ कोल और टॉमी हिलफिगर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के साथ साझेदारी इसकी साख का प्रमाण है. अमेरिका की मार्क फिशर कंपनी के साथ हालिया करार और यूरोपीय ब्रांड्स के साथ विस्तार की योजना उनके वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाती है.

'Off The Hook', 'Oaktrak' और 'Thomas Crick' जैसे अपने ब्रांडों के ज़रिए उन्होंने फैशन फुटवियर के प्रीमियम सेगमेंट में भारतीय पहचान बनाई है. यूके के मिल्टन कीन्स में डिज़ाइन स्टूडियो और युवा टीम के साथ वे गुणवत्ता, नवाचार और वैश्विक विस्तार को ही अपना मंत्र मानते हैं. तौसीफ मिर्ज़ा आज चमड़ा उद्योग के भविष्य के सबसे मज़बूत और प्रेरणादायक स्तंभ हैं.

मोहम्मद मैनाल

हिमालयन ड्रग्स कंपनी (अब Himalaya Wellness Company) की प्रेरणादायक कहानी की शुरुआत 1930 में मोहम्मद मैनाल द्वारा की गई थी. वे एक दूरदर्शी वैज्ञानिक और प्रकृति प्रेमी थे, जिनका सपना था कि भारत की पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर दुनिया के सामने लाया जाए.

मोहम्मद मैनाल ने देहरादून में कंपनी की नींव रखी, जब उन्होंने Rauwolfia serpentina नामक औषधीय पौधे के गुणों पर आधारित पहला सफल उत्पाद विकसित किया. उनका उद्देश्य था—आयुर्वेद को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रमाणित करना और इसे आधुनिक दुनिया के अनुरूप बनाना. इसी सोच के परिणामस्वरूप 1955 में लॉन्च हुआ ‘Liv.52’, जो आज भी हिमालयन वेलनेस का सबसे प्रसिद्ध और भरोसेमंद हेपेटो-प्रोटेक्टिव उत्पाद बना हुआ है.

उनके पुत्र मिराज मैनाल ने 1975 में बेंगलुरु में निर्माण इकाई स्थापित कर कंपनी के वैश्विक विस्तार की नींव रखी. आज Himalaya Wellness Company 106 देशों में अपनी उपस्थिति के साथ 10,000+ लोगों को रोजगार देती है और ₹37.6 अरब से अधिक का वार्षिक कारोबार करती है. मोहम्मद मैनाल का योगदान भारतीय औषधीय परंपरा को विश्व मंच पर स्थापित करने में ऐतिहासिक और प्रेरणादायक है.

यूसुफ अली एम.ए

यूसुफ अली एम.ए., लुलु समूह के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आज विश्व के सबसे प्रभावशाली भारतीय उद्यमियों में से एक हैं. उनका नेतृत्व, दूरदर्शिता और रणनीतिक कौशल लुलु ग्रुप को एक वैश्विक खुदरा दिग्गज के रूप में स्थापित करने में निर्णायक रहा है. अबू धाबी स्थित मुख्यालय से संचालित यह समूह आज खाड़ी देशों सहित दुनिया के कई हिस्सों में शॉपिंग मॉल और हाइपरमार्केट की एक विस्तृत श्रृंखला का संचालन करता है, जो बहु-सांस्कृतिक उपभोक्ताओं की जरूरतों को उत्कृष्टता से पूरा करता है.

लुलु ग्रुप वर्तमान में 46 देशों में फैला है, जिसमें 70,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. समूह की मौजूदगी यूएई, भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देशों तक है, और इसका वार्षिक वैश्विक कारोबार 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है.

केवल व्यवसायिक सफलता ही नहीं, यूसुफ अली सामाजिक उत्तरदायित्व और परोपकार में भी अग्रणी हैं. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. वह अबू धाबी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं और चार बार इसके निदेशक मंडल में भी चुने गए हैं. उनकी कहानी एक प्रेरणा है—दृष्टिकोण, मेहनत और मानवीय मूल्यों का संगम.

डॉ. हबीब एफ. खोराकीवाला

डॉ. हबीब एफ. खोराकीवाला एक दूरदर्शी नेता हैं, जिन्होंने बदलाव को अपनी सोच और कार्यशैली का मूल बनाया. 1967 में वॉकहार्ट की स्थापना कर उन्होंने भारत की पहली शोध-आधारित वैश्विक हेल्थकेयर कंपनी की नींव रखी, जो आज फार्मास्यूटिकल्स, बायोटेक्नोलॉजी, एपीआई और सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स में अग्रणी है.

छत्रपति संभाजीनगर में संयंत्र स्थापित करने से लेकर, अमेरिका और यूरोप में दवा कंपनियों के अधिग्रहण तक, उन्होंने हर कदम पर साहसी निर्णय लिए. वॉकहार्ट आज दुनिया की इकलौती कंपनी है, जिसकी छह एंटीबायोटिक खोजों को USFDA द्वारा QIDP दर्जा मिला है — यह "सुपरबग्स" से लड़ाई में क्रांतिकारी कदम है.

उनकी अगुवाई में वॉकहार्ट ने भारत का पहला पुनः संयोजक टीका 'बायोवैक-बी', और स्वचालित इंसुलिन पेन 'वोसुलिन' जैसे नवाचार किए. पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से मास्टर्स और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा कर वे पहले गैर-अमेरिकी थे जिन्हें पर्ड्यू ने मानद डॉक्टरेट दी.

‘Odyssey of Courage’ पुस्तक और ‘Wockhardt School of Courage’ के ज़रिए वे आज की पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं. सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते हुए उन्होंने 'वॉकहार्ट फाउंडेशन' की स्थापना की, जो मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

अज़हर इक़बाल

बिहार के किशनगंज जैसे पिछड़े ज़िले से निकलकर IIT-दिल्ली तक का सफर तय करने वाले अज़हर इक़बाल आज भारत की अग्रणी मीडिया ऐप InShorts के सह-संस्थापक हैं. InShorts की खासियत है—60 शब्दों में निष्पक्ष, आसान भाषा में खबरें देना. इस अनूठे विचार ने आज 10 मिलियन+ यूज़र्स, 500+ कर्मचारियों और 550 मिलियन डॉलर की वैल्यूएशन वाली कंपनी को जन्म दिया.

अज़हर का मानना है कि दुनिया को समझना सरल है, लेकिन हम चीज़ों को अनावश्यक रूप से जटिल बना देते हैं. इसी सोच के साथ उन्होंने 2013 में एक फेसबुक पेज से शुरुआत की, जहाँ वे 60 शब्दों में न्यूज़ पोस्ट करते थे. रिसर्च या सर्वे की जगह, उन्होंने सीधे MVP (Minimum Viable Product) लॉन्च किया और यूज़र प्रतिक्रिया से सीखा.

IIT के दोस्तों के साथ मिलकर News in Shorts को ऐप में बदला और Times Internet की स्टार्टअप एक्सीलरेटर से जुड़कर बिज़नेस समझा. InShorts का मॉडल फ्री न्यूज़ सर्विस पर आधारित है, जिसकी आमदनी ब्रांडेड B2B विज्ञापन से होती है. आज अज़हर Shark Tank India में जज हैं और InShorts एक नए भारत की तेज़, सरल और स्मार्ट सोच का प्रतीक बन चुका है.

इरफान रज़ैक 

इरफान रज़ैक, प्रेस्टिज ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र की एक प्रेरणादायक शख़्सियत हैं. बेंगलुरु में जन्मे और पले-बढ़े रज़ैक ने अपने पिता रज़ैक सत्तार द्वारा 1986 में स्थापित प्रेस्टिज ग्रुप को एक छोटे उपक्रम से भारत के अग्रणी रियल एस्टेट ब्रांड में बदल दिया.

पिछले चार दशकों में, उन्होंने आवासीय, वाणिज्यिक, खुदरा और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया. उनकी रणनीतिक सोच, बाज़ार की गहरी समझ और नवाचार पर बल ने कंपनी को अनेक पुरस्कार और वैश्विक पहचान दिलाई. रज़ैक का नेतृत्व व्यावहारिक, सुलभ और प्रेरणादायक है. वे कर्मचारियों, ग्राहकों और साझेदारों से मज़बूत संबंध बनाकर सकारात्मक कार्यसंस्कृति को प्रोत्साहित करते हैं.

उनकी समाजसेवा, विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में, उल्लेखनीय है. उन्हें FRICS, EY Entrepreneur of the Year 2022, कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार 2024, और ET Business Awards 2025 जैसे अनेक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं. इरफान रज़ैक, न केवल प्रेस्टिज ग्रुप, बल्कि समूचे रियल एस्टेट उद्योग के भविष्य को दिशा देने वाले दूरदर्शी नेता हैं.