नई दिल्ली. विपक्षी बेंचों की इस मांग के बीच कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करे और वहां विधानसभा चुनाव कराने के लिए समय सीमा तय करे, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान लागू नहीं किया है और अब वे हमें सिखा रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘60-70 साल तक जिन्होंने भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं किया, वे आज उन लोगों को पढ़ा रहे हैं, जिन्होंने 3 पीढ़ियों का बलिदान दे दिया, ताकि भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू किया जाए.’’
जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘1947 की संविधान सभा में ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 के बारे में चिंता जताई थी और इसकी समीक्षा का आह्वान किया था. उन्होंने धारा 370 से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए क्रमिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया था.’’
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अनुच्छेद 370 हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 के मुद्दे का पीढ़ियों से निहित स्वार्थों द्वारा राजनीतिकरण और शोषण किया गया है, जिससे उन्हें सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने में मदद मिली है. कांग्रेस पार्टी को इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रधान मंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए, जो पिछली सरकारें करने में विफल रही थीं.’’
आजादी के दौरान जम्मू-कश्मीर के इतिहास पर बोलते हुए, जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘इतिहासकारों ने जिसे ‘नेहरूवादी भूल’ कहा है, उसका एक परिणाम 1947 में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलंबित एकीकरण था. नेहरू का मानना था कि उनके पास बेहतर विकल्प थे. उनके अपने गृह मंत्री सरदार पटेल की तुलना में जम्मू-कश्मीर की समझ ने इस देरी में योगदान दिया.’’
‘‘अनुच्छेद 370 के बारे में मुखर्जी की चिंताओं पर नेहरू की प्रतिक्रिया खारिज करने वाली थी, उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि मुद्दा धीरे-धीरे अपने आप हल हो जाएगा. दशकों बाद, 1963 में सदन के पटल पर एक बहस के दौरान, प्रधानमंत्री शास्त्री ने भी इस भावना को दोहराया. 1963 में, पंडित नेहरू ने स्वयं उन्होंने अनुच्छेद 370 को संबोधित करने की आवश्यकता को स्वीकार किया. हालांकि, न तो नेहरू और न ही बाद की सरकारों ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए ठोस कदम उठाए, जिससे यह एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन गया.’’
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की गिरफ्तारी पर बोलते हुए और बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट की अनुपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 1953 में कश्मीर जाते समय गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी, जो कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुई थी, कथित तौर पर थी उन्हें जम्मू-कश्मीर पहुंचने से रोकने के लिए नेहरू की सरकार ने साजिश रची थी.’’
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