मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, विहिप ने असम सरकार के फैसले का किया स्वागत

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 31-08-2024
Muslim Rashtriya Manch, VHP welcomed the decision of Assam government
Muslim Rashtriya Manch, VHP welcomed the decision of Assam government

 

नई दिल्ली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और विश्व हिंदू परिषद ने शुक्रवार की नमाज के लिए दी जाने वाली दो घंटे की छुट्टी को समाप्त करने के असम विधानसभा के निर्णय का समर्थन किया है.

दोनों संगठनों ने असम सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की तारीफ भी की है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने कहा कि, यह निर्णय देश के धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील मूल्यों को सुदृढ़ करने में एक महत्वपूर्ण कदम है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि 'कर्म ही पूजा है' का सिद्धांत सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होता है, और सरकारी कामकाज में धार्मिक आधार पर किसी भी तरह का विशेषाधिकार असमानता को बढ़ावा देता है.

1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह द्वारा शुरू की गई इस प्रथा का उद्देश्य विशेष रूप से मुसलमानों को ध्यान में रखते हुए नमाज के लिए छुट्टी प्रदान करना था.

लेकिन, एमआरएम का तर्क है कि यदि यह प्रथा इतनी ही आवश्यक होती, तो इसे केवल असम की विधानसभा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश के अन्य विधानसभाओं और संसद (लोकसभा और राज्यसभा) में भी लागू किया गया होता.

इसके विपरीत, कोई भी सरकार, यहां तक कि वो पार्टियां जो मुस्लिम वोट बैंक के समर्थन के लिए जानी जाती हैं, जैसे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि, ने भी इस प्रकार के नियम को अपनाने की आवश्यकता महसूस नहीं की.

मंच के मुताबिक, यह निर्णय देश के धर्मनिरपेक्ष और समानता के मूल्यों को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा.वहीं विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने असम में मुस्लिम शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन को जरूरी किए जाने के फैसले के लिए असम के मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए अन्य राज्यों से भी इसका अनुसरण करने की अपील की है.

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि असम में मुस्लिम शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन जरूरी किए जाने से राज्य की बेटियां को मुल्ले काजी और उनका शारीरिक उत्पीड़न करने वाले जिहादियों व समाज कंटकों से मुक्ति मिलेगी.

इसके माध्यम से बाल विवाह और काजी सिस्टम खत्म होने पर महिला अत्याचारों पर रोक और नारी सशक्तिकरण को बल मिलेगा. वास्तव में यदि बहुविवाह को भी अपराध घोषित कर दिया, तो असम की नारियां व सभ्य समाज आजीवन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के ऋणी रहेगा.

उन्होंने असम के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए अन्य राज्यों की सरकारों से भी असम सरकार का अनुसरण करते हुए बाल विवाह, बहु विवाह, बहु संतान व हलाला जैसी नारी दोहनकारी कुप्रथाओं पर अंकुश लगा कर सभी नारियों को दत्तक, तलाक, भरण पोषण, संपत्ति में हिस्सा तथा काले बोरे से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया है.

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से बहु विवाह पर रोक लगाने, विवाहित महिलाओं के वैवाहिक घर में रहने, भरण पोषण आदि के अपने अधिकार का दावा करने तथा विधवाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के अधिकार के साथ अन्य लाभ व विशेष अधिकारों के लिए दावा करने में भी सहायता मिलेगी.

महिला सशक्तिकरण की दिशा में असम सरकार का यह निर्णय अभूतपूर्व व अनुकरणीय है.