भारत के अल्पसंख्यक अब बंधक बना दिए गए हैं : ओवैसी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-07-2025
"Minorities in India are now held hostage": Owaisi

 

नई दिल्ली

अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू के बीच अल्पसंख्यकों के कल्याण को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

ओवैसी ने सोमवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि भारत के अल्पसंख्यकों को अब "दूसरे दर्जे का नागरिक" भी नहीं माना जाता, बल्कि उन्हें "बंधक" बना दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा,“क्या यह ‘सम्मान’ है कि भारत के प्रधानमंत्री की नफरत भरी भाषणों का निशाना बनना पड़ता है? भारत के अल्पसंख्यक अब न तो दूसरे दर्जे के नागरिक बचे हैं, न ही सामान्य नागरिक। हम अब बंधक हैं।”

इस टिप्पणी के जवाब में केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने ओवैसी पर पलटवार करते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यक अन्य देशों के अल्पसंख्यकों की तरह पलायन नहीं करते, बल्कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक भारत में आना पसंद करते हैं। उन्होंने लिखा:“ठीक है... तो हमारे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे अल्पसंख्यक कहीं नहीं जाते? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ देती हैं।”

इस पर असदुद्दीन ओवैसी ने फिर प्रतिक्रिया दी और कहा कि यदि भारत के अल्पसंख्यक पलायन नहीं कर रहे हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि वे ‘खुश’ हैं
उन्होंने लिखा:“माननीय मंत्री जी के अनुसार, अगर हम पलायन नहीं करते तो हम खुश हैं? हम भागने की आदत में नहीं हैं। हमने न तो ब्रिटिशों से भागना सीखा, न विभाजन के वक्त भागे, और न ही जम्मू, नेल्ली, गुजरात, मुरादाबाद, दिल्ली जैसी हिंसाओं से डरकर भागे।”

ओवैसी ने आगे कहा,“हमारा इतिहास गवाह है कि हम न अत्याचारियों से समझौता करते हैं, न उनसे डरते हैं। हम अपने संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना जानते हैं और इंशाअल्लाह करते रहेंगे। कृपया हमारी महान राष्ट्र की तुलना पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका जैसे विफल राष्ट्रों से न करें।
जय हिंद, जय संविधान! इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद।

यह जुबानी जंग ऐसे समय में सामने आई है जब देश में अल्पसंख्यकों की भागीदारी, उनके अधिकारों और कल्याण योजनाओं को लेकर कई तरह की बहसें चल रही हैं।