भारत में फल-फूल रही मुस्लिम आबादी, 65 वर्षों में 14.09 प्रतिशत की वृद्धि: रिपोर्ट

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 09-05-2024
Muslim population thriving in India, 14.09 percent increase in 65 years: Report
Muslim population thriving in India, 14.09 percent increase in 65 years: Report

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

भारत विरोधी देशों के दुष्प्रचार के बावजूद भारत की मुस्लिम आबादी न केवल चैन से रह रही है, बल्कि इसमें निरंतर वृद्धि भी दर्ज की जा रही है. इसके कारण ही आज भारत अधिक मुस्लिम आबादी वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.

आर्थिक सलाहकार परिषद के एक वर्किंग पेपर के अनुसार, 1950 और 2015 के बीच बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 84.68 प्रतिशत से 7.82 प्रतिशत घटकर 78.06 प्रतिशत रह गई है. इसके विपरीत देश में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84 प्रतिश से 43.15 प्रतिशत बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई.
 
प्रधानमंत्री ईएसी-पीएम सदस्य शमिका रवि, सलाहकार अपूर्व कुमार मिश्रा और यंग प्रोफेशनल अब्राहम जोस द्वारा लिखित पेपर में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान ईसाई आबादी की हिस्सा 2.24 प्रतिशत से 5.38 प्रतिशत बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई है.
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इसी तरह  सिख आबादी की हिस्सेदारी 1950 में 1.24 प्रतिशत से 6.58 प्रतिशत बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गई. यहां तक कि बौद्ध आबादी में 0.05 प्रतिशत से 0.81 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई.
 
दूसरी ओर, भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत रह गई है. इसी तरह भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई.
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1950 के मुकाबले इसकी आबादी 0.03 प्रतिशत तक कम हुई है. 2015 में इनकी आबादी का प्रतिशत 0.004 थी.भारत में जनगणना आखिरी बार 2011 में हुई थी. अगली जनगणना एक दशक में होनी थी, जो अब तक नहीं हुई है.
 
ईएसी-पीएम पेपर ने बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक आबादी के रुझानों में वैश्विक रुझान देखने के लिए 167 देशों का भी अध्ययन किया. भारतीय उपमहाद्वीप पर, रिपोर्ट में पाया गया कि मालदीव को छोड़कर सभी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है.
 
मगर ऐसे देशों में बहुसंख्यक समूह (शफीई सुन्नियों) की हिस्सेदारी में 1.47 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. बांग्लादेश में, बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो भारतीय उपमहाद्वीप में इस तरह की सबसे बड़ी वृद्धि है.
 
1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बावजूद पाकिस्तान में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय (हनफी मुस्लिम) की हिस्सेदारी में 3.75 प्रतिशत और कुल मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
 
गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में, म्यांमार, भारत और नेपाल में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में गिरावट नोट किया गया. म्यांमार में थेरवाद बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ इस क्षेत्र में बहुसंख्यक धार्मिक समूह की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई.
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नेपाल में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इसके मुकाबले नेपाल में मुस्लिम आबादी में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
 
शमिका रवि ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ''1950 में, एनिमिज्म को 24 देशों (लगभग सभी अफ्रीका में) में बहुमत का दर्जा प्राप्त था. जीववाद ने न केवल समग्र जनसंख्या में अपना हिस्सा खो दिया, बल्कि 2015 तक इन 24 देशों में से किसी में भी यह बहुसंख्यक आबादी नहीं रह गई है.''
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लेखकों का कहना है कि किसी देश में बहुसंख्यक समूह से जुड़ा धर्म उन देशों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जहां अत्यधिक परिवर्तन देखे गए हैं.इन देशों में डेटा का विश्लेषण करते हुए, ईएसी-पीएम वर्किंग पेपर में कहा गया है कि जिन 20 देशों में बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में अधिकतम वृद्धि देखी गई है, वे  हैं जहां ईसाई धर्म- या इस्लाम-आधारित संप्रदाय बहुसंख्यक धार्मिक समूह हैं.
 
इसमें कहा गया है, "अगर हम उन 20 देशों पर ध्यान केंद्रित करें, जहां बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में अधिकतम गिरावट देखी गई है, तो उनमें से केवल 3 में ईसाई या इस्लाम आधारित संप्रदाय बहुसंख्यक धार्मिक समूह के रूप में थे."
 
देशों में बहुसंख्यक धर्म के विश्लेषण के अनुसार, ईसाई बहुसंख्यक होने की सूचना देने वाले 94 देशों में से 77 में 1950 के बाद से बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में कमी देखी गई है. 1950 में मुस्लिम बहुसंख्यक होने के कारण बहुसंख्यक धार्मिक समूह की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है, जबकि केवल 13 देशों में जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी में गिरावट आई है,'' यह कहता है.