नई दिल्ली. कर्नाटक के एक कॉलेज में ड्रेस कोड लागू करने के बाद मुस्लिम छात्राओं को क्लास में हिजाब पहनने पर पाबंदी होगी. इसका छात्राओं ने विरोध शुरू कर दिया है. इस मामले का असर पूरे कर्नाटक में देखा जा रहा है.
इस ड्रेस कोड के तहत मुस्लिम छात्राओं को क्लास में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाई गई है. इस मसले पर विवाद को देखते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं मुख्य संरक्षक डॉ. इंद्रेश कुमार ने बयान जारी करके कहा है कि उनका मंच ऐसे किसी भी बात का समर्थन नहीं करता है जहां कहीं भी कट्टरपंथ एवं धार्मिक उन्माद हो.
बयान में कहा गया है कि नकाब और पर्दा प्रथा हर धर्म एवं समाज में अपनी अहमियत रखता है लेकिन इसका संबंध स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान, औद्योगिक या कारोबारी क्षेत्र से नहीं है. इसका संबंध नई बहू के लिए सुसराल में तो उचित है लेकिन ऐसे किसी भी संस्थान जहां का अपना ड्रेस कोड होता है वहां नकाब या पर्दा प्रथा नहीं चलती है, और यह उचित भी नहीं है. अत: कुछ समाचार संस्थाओं में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा कर्नाटक की खबर को लेकर जो विवाद चल रहा है, उसका मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से ऐसी किसी भी बात के समर्थन का कोई लेना देना नहीं है.
इस पूरे विवाद के बारे में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की भूमिका को लेकर मंच के संरक्षक और मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का यह साफ नजरिया हैं कि इस्लाम और रसूल के अनुसार जो जिस देश के नागरिक है उनको अपने देश, अपने मादरे वतन के नियम कानून को मानना जरूरी होता है. इसी प्रकार जो जिस शिक्षा संस्थानों में पढ़ते हैं उनको भी उन संस्थानों के कायदे कानून का पालन करना आवश्यक होता है. जो ऐसा नहीं करते वे इस्लाम और रसूल के प्रति ईमानदार नहीं हो सकते.
कुछ कट्टरपंथी लोग लड़कियों का दुरुपयोग करते हुए इस प्रकार के विवादों को तूल दे रहे हैं और सामाजिक सौहार्द तथा शांति के वातावरण को खराब कर रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस प्रकार की कट्टरता की कठोर निंदा करता है. साथ ही यह स्पष्ट करना चाहता है कि इस प्रकार बेटियों का किसी भी तरह से दुरुपयोग कर कट्टरता फैलाने के ऐसे किसी भी प्रयास का घोर विरोध करता है.