Muslims and Sikhs came together to perform the last rites of a dead woman in Tral, Kashmir
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
चार कंधे हमें जब उठाकर चलें,
है गुज़ारिश कि सब मुस्कुराकर चलें.
अंतिम समय में आदमी को चार कंधे चाहिए जो धर्म से परे है जिसकी जरुरत सबको है. ऐसा ही एक एकता से भरा उदाहरण पेश किया कश्मीर के त्राल में मृत महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए मुस्लिम और सिख पड़ोसी एक साथ आए.
शनिवार को त्राल में सिख महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए मुस्लिम और सिख एक साथ आए. गुलबाग त्राल निवासी करतार सिंह की पत्नी सिलिंदर कौर की शनिवार को मृत्यु हो गई जिसके बाद मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की.
समाचार एजेंसी-कश्मीर न्यूज ऑब्जर्वर (केएनओ) के अनुसार, सिंह का परिवार मुस्लिम बहुल गुलबाग गांव में रहने वाला एकमात्र सिख परिवार है और मौत की खबर मिलते ही मुस्लिम पड़ोसी उनके आवास पर एकत्र हो गए.
निकटवर्ती नानेर त्राल के सिख समुदाय के लोगों ने भी शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की. वे मुसलमानों के साथ शव को अपनी पीठ पर लादकर नानेर गाँव ले गए जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
सिंह के पड़ोसी न केवल शव को नानेर ले गए बल्कि उन्होंने मृतक का दाह संस्कार करने के लिए लकड़ी भी ढोई.
स्थानीय निवासी अब्दुल रशीद ने कहा, "हमारा धर्म हमें अपने पड़ोसियों की मदद करना और उनकी देखभाल करना सिखाता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो." सिखों ने यह भी कहा कि त्राल में सिख-मुस्लिम भाईचारा मजबूत है और वे लंबे समय से सौहार्दपूर्ण संबंध साझा करते हैं. दोनों समुदाय एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते रहे हैं.