श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने रविवार को बताया कि EOS-09 उपग्रह के प्रक्षेपण के दौरान रॉकेट के तीसरे चरण में तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण मिशन सफल नहीं हो सका.
वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,“तीसरे चरण के संचालन के दौरान एक अवलोकन सामने आया है और इसी कारण से मिशन पूरा नहीं हो पाया. हम इस पर विश्लेषण करेंगे और फिर दोबारा आगे बढ़ेंगे.”
इसरो ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर भी इस संबंध में जानकारी दी। पोस्ट में लिखा गया,“आज 101वां प्रक्षेपण प्रयास किया गया. PSLV-C61 की प्रदर्शन क्षमता दूसरे चरण तक सामान्य रही, लेकिन तीसरे चरण में आई एक तकनीकी गड़बड़ी के कारण मिशन पूरा नहीं किया जा सका.”
PSLV-C61 रॉकेट का प्रक्षेपण क्रम विभिन्न चरणों में पूरा होता है, जिसमें ज़मीन से पहले चरण के बूस्टर का प्रज्वलन, विभाजन और अंत में उपग्रह का रॉकेट से अलग होना शामिल होता है.
इसरो प्रमुख के अनुसार, समस्या तीसरे चरण में सामने आई, जो एक ठोस रॉकेट मोटर है और वायुमंडलीय चरण के बाद रॉकेट को ऊपरी स्तर पर उच्च वेग प्रदान करता है। यह चरण 240 किलो न्यूटन तक का अधिकतम थ्रस्ट देता है.
यह इसरो का 101वां प्रक्षेपण मिशन था, जिसमें पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाने वाले EOS-09 उपग्रह को सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (SSPO) में पहुंचाने की योजना थी.
प्रक्षेपण योजना के अनुसार, उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में तैनात करने के बाद PS4 चरण की ऊंचाई को घटाने के लिए ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (OCT) का उपयोग किया जाना था.
इसके बाद पासिवेशन (passivation) प्रक्रिया के तहत रॉकेट के अंतिम चरण को निष्क्रिय कर, उसकी कक्षीय उम्र घटाई जाती — ताकि अंतरिक्ष में कचरे को न्यूनतम रखा जा सके और जिम्मेदार अंतरिक्ष संचालन सुनिश्चित किया जा सके.
EOS-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक से सुसज्जित है. यह दिन हो या रात, किसी भी मौसम में पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है. इस तकनीक से भारत की निगरानी और संसाधन प्रबंधन क्षमता को कई क्षेत्रों में बड़ा बल मिलने की उम्मीद थी.
विशेष रूप से, इस मिशन को स्थिरता (sustainability) को बढ़ावा देने और उत्तरदायी अंतरिक्ष संचालन के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा था, क्योंकि EOS-09 उपग्रह को मिशन के बाद सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की ओर लाने के लिए डिऑर्बिटिंग ईंधन से भी लैस किया गया था.
अब इसरो की टीम मिशन की विफलता के कारणों की जांच कर रही है और जल्द ही विस्तृत जानकारी साझा करेगी.