मौलाना आजाद न पत्नी के जनाजे में शामिल हुए और न ही अंग्रेजों के सामने घुटने टेके

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 27-12-2022
मौलाना आजाद न पत्नी के जनाजे में शामिल हुए और न ही अंग्रेजों के सामने घुटने टेके
मौलाना आजाद न पत्नी के जनाजे में शामिल हुए और न ही अंग्रेजों के सामने घुटने टेके

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

मौलाना आजाद के व्यक्तित्व का अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि जब वह 15साल के थे, उन्होंने मासिक पत्रिका ‘लेसान उल सिद्क’ निकाल कर लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया. यही नहीं उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मुसलमानों को जिहाद का फतवा दिया. जिसके बाद अंग्रेज ने उनकी पत्ररिका को बंद कर दिया.

इसके बाद मौलाना रुके नहीं. अल बलाग पत्रिका जारी कर अंग्रेजों से लोहा लेते रहे. वो पंडित जवाहरलाल नेहरू और गांधी जी के बहुत करीब थे. उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए जो कुर्बानी दी सदियों याद रखी जाएगी.

ये बातें दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में रेक्ट ऑफ लीगल सेल द्वारा ‘मौलाना अबुल कलाम आजाद और नए भारत के निर्माण में उनका योगदान’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जामिया मिल्लिया की प्रो. सैयदा हमीदी ने कही.

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मौलाना आजाद ने घुटने नहीं टेके

उन्होंने मौलाना आजाद के बारे में आगे कहा कि जब मौलाना आजाद जेल में थे उस वक्त उनकी पत्नी का निधन हो गया. वह चाहते तो अंग्रेज के सामने घुटने टेक देते और पत्नी के जनाजे में शिरकत करते. मगर उन्होंने जनाजे में शिरकत के लिए अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके. मगर आज का माहौल बेहद गंभीर है.

नेता करियर बनाते हैं मौलाना ने देश बनाया

रंजीत रंजन ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद मक्का में पैदा हुए. अरबी उनकी मातृभाषा था. उर्दू, फारसी, बंग्ला, हिंदी के महान जानकार थे. जब देश के प्रथम शिक्षा मंत्री बने तो आई आई टी, आई आई एम का निर्माण कराया. मौलाना  का मानना था कि परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक ज्ञान हासिल करना बेहद जरूरी है.

मौजूदा दौर में अधिकांश नेतागण अपना करियर बनाते हैं. मौलाना आजाद ने देश को बनाया. शिक्षा जगत में उन्होंने जो योगदान दिया उसे देखते हुए जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, ‘‘जब तक मैं प्रधानमंत्री रहूं या मौलाना जिंदा रहेंगे तो शिक्षा मंत्री मौलाना ही होंगे.’’

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शिक्षा का अधिकार मौलाना का ख्वाब

प्रोग्राम की अध्यक्षता करते हुए काब रशीदी ने कहा, मौलाना आजाद का मानना था कि जब तक समाज के सभी तबके के लोगों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, देश आगे नहीं बढ़ सकता. इस लिए जो बच्चे आज बैग लेकर स्कूल जाते हैं वह मौलाना आजाद का ख्वाब थे.

 वहीं दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजीव पाल गौतम ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में से एक मौलाना अबुल कलाम आजाद थे. उन्होंने सभी समुदाय को एक साथ लेकर काम किया. हमारे देश को पड़ोसी देश से सबक लेना चाहिए, जहां साम्प्रदायिकता से लोग झुलस रहे हैं. हमारा देश विविधताओं का देश है. यहां हर किसी को खाने पीने, बोलने और रहने सहने की आजादी है. देश के मौजूदा हालत में थोड़ी सुधार की जरूरत है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्कॉलर जयंत जिज्ञासु ने कहा कि 75 साल की मुद्दत कोई बड़ी नहीं. जम्हूरियत का जिस्म बाहर से बुलंद है. इसमें कुछ सुधार की जरूरत है. इकबाल ने अपनी शायरी से लोगों को स्वतंत्रता के लिए जागरूक किया था, जिसे आज दुनिया देख रही है.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली ने आखिर में प्रोग्राम को सराहते हुए जिम्मेदारों को बधाई दी.