बेंगलुरु
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2032 तक कर्नाटक को भारत की “कौशल राजधानी” बनाया जाए और राज्य को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य प्रतिभा, तकनीक और दृढ़ता (Talent, Technology and Tenacity) की त्रयी के बल पर हासिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने 30 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने, आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों) में महिला नामांकन को 33 प्रतिशत तक बढ़ाने, और हर जिले में कौशल विकास की क्षमता को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि कौशल विकास के माध्यम से राज्य के युवाओं को न केवल घरेलू उद्योगों में बल्कि अंतरराष्ट्रीय रोजगार बाजार में भी अवसर मिलें, इसके लिए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय प्रवासन केंद्र–कर्नाटक (IMC-K) के माध्यम से वैश्विक कंपनियों और एजेंसियों से साझेदारी की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
सिद्धरमैया ने कहा,“हमारा मिशन केवल रोजगार सृजन तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जहाँ हर युवा को अपनी प्रतिभा निखारने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिले। कर्नाटक देश में कौशल नवाचार का अग्रणी केंद्र बनेगा।”
मुख्यमंत्री ने यह बातें “बेंगलुरु कौशल शिखर सम्मेलन 2025” के उद्घाटन समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग, शिक्षा संस्थानों और प्रशिक्षण संगठनों के सहयोग से एक कौशल-प्रधान अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।