मुंबई
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए बनाए गए कानून POSH अधिनियम (Sexual Harassment of Women at Workplace - Prevention, Prohibition and Redressal Act) के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर चिंता जताई है और सभी कार्यालयों में अनिवार्य POSH ऑडिट की सिफारिश की है।
आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में कहा कि हाल ही में राज्यभर में किए गए दौरों के दौरान उन्होंने पाया कि अधिकांश कार्यालयों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) तो गठित की गई है, लेकिन वह केवल कागजों तक सीमित है।
उन्होंने कहा,“कमीटियों के सदस्यों को उनके अधिकार, कर्तव्य और कानूनी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। इस वजह से महिलाएं कार्यस्थलों पर खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।”
इस स्थिति को सुधारने के लिए आयोग ने महिला और बाल विकास मंत्री को एक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें मांग की गई है कि एक सरकारी निर्णय (GR) जारी कर POSH अनुपालन का नियमित ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
चाकणकर ने कहा,“POSH ऑडिट को वित्तीय या अग्नि सुरक्षा ऑडिट जितनी ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे ऑडिट यह सुनिश्चित करेंगे कि कार्यस्थल केवल कानूनी रूप से अनुपालक ही नहीं, बल्कि वास्तव में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल भी प्रदान करें।