उत्तरकाशी त्रासदी: मुस्लिम धर्मगुरु बोले- यह समय है एकजुटता, सहानुभूति और इंसानियत का

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-08-2025
Uttarkashi tragedy: Muslim religious leader said- this is the time for unity, sympathy and humanity
Uttarkashi tragedy: Muslim religious leader said- this is the time for unity, sympathy and humanity

 

आवाज़ द वॉयस /नई दिल्ली 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में हाल ही में आई भयावह प्राकृतिक आपदा ने पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया है. बादल फटने और उसके बाद आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन ने न सिर्फ घरों और व्यवसायों को तहस-नहस कर दिया,अनगिनत जिंदगियों को भी बर्बाद कर दिया. इस मुश्किल घड़ी में देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं ने गहरी संवेदना प्रकट की है और सभी नागरिकों से एकजुट होकर पीड़ितों की मदद करने की अपील की है.

यह समय साथ खड़े होने का: मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी

जमीयत अहले हदीस हिंद के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी ने उत्तरकाशी में आई इस त्रासदी को बेहद दुखद बताते हुए कहा कि यह समय आपसी मतभेद भूलकर पीड़ितों के साथ खड़े होने का है.

“इस आपदा ने हम सभी को भीतर तक झकझोर दिया है. हमारी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने घर, प्रियजन और आजीविका खो दी है. हम दुआ करते हैं कि अल्लाह इस मुसीबत को जल्द दूर करे और उत्तरकाशी के लोग फिर से सामान्य जीवन की ओर लौट सकें.”

उन्होंने राहत और बचाव कार्यों में जुटे सैनिकों, आपदा प्रबंधन बल और सरकार के प्रयासों की भी सराहना की और  भारतीय से अपील की कि इस कठिन समय में इंसानियत के नाते उत्तरकाशी के साथ खड़े हों.

धराली का हादसा गहरा दुखद: मौलाना महमूद मदनी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने उत्तरकाशी के धराली गांव में आई बाढ़ से हुई भयावह तबाही पर गहरा शोक व्यक्त किया.“यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है. हम जमीयत की उत्तराखंड इकाई से आग्रह करते हैं कि वे स्थानीय प्रशासन और समाजिक संगठनों के साथ मिलकर राहत कार्यों में सक्रिय भाग लें.”
उन्होंने सरकार से मांग की कि पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक मजबूत आपदा प्रबंधन नीति तैयार की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके.

इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है: प्रो. सलीम इंजीनियर

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने सोशल मीडिया पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि यह समय धर्म या जाति के भेदभाव का नहीं, बल्कि मानवता के मूल्यों को अपनाने का है.

“धराली गांव की तबाही अत्यंत दुखद है. कई परिवार उजड़ चुके हैं. लोग लापता हैं. मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और भारी बारिश की चेतावनी दी है. यह समय है जब हर नागरिक को अपने स्तर पर मदद के लिए आगे आना चाहिए — चाहे वह दान हो, सेवाएं हों या सिर्फ संवेदना.”उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जमात के स्वयंसेवक स्थानीय प्रशासन और समाजिक संगठनों के साथ मिलकर ज़मीन पर राहत कार्यों में जुटे हुए हैं.
 

संकट में दिखाई दे रही है इंसानियत की रोशनी

उत्तरकाशी, जो हाल ही में सांप्रदायिक तनावों के कारण सुर्खियों में रहा, आज एक नई मिसाल पेश कर रहा है. दोनों समुदायों ने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.जहां कुछ समय पहले तक यहां के मुस्लिम परिवारों को 'देवभूमि' के नाम पर पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा था, आज वही धरती सांझा मानवता का प्रतीक बन गई है.

यह उदाहरण पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि जब संकट आता है, तो हमारी पहचान हमारे धर्म से नहीं, बल्कि हमारी इंसानियत से होती है.उत्तरकाशी की यह भीषण आपदा हमें एक बार फिर यह याद दिलाती है कि मुश्किल समय में जात-पात, धर्म, समुदाय से परे हटकर केवल एक चीज मायने रखती है — इंसानियत.

आज ज़रूरत है कि हम सब मिलकर उन हाथों को थामें जो मदद के लिए उठे हैं, उन जज़्बातों को अपनाएं जो दर्द बांटते हैं, और एकजुट होकर यह संदेश दें — "हम साथ हैं, और हमेशा रहेंगे."