सैयद आसिफ इब्राहिम 1977 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. उन्होंने 1 जनवरी 2013 से 31 दिसंबर 2014 तक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के पहले मुस्लिम निदेशक के रूप में कार्य किया. अपने कार्यकाल में इब्राहिम ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई.
उनका सबसे उल्लेखनीय कार्य इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल की गिरफ्तारी में था. साथ ही, 1994 में पाकिस्तानी आतंकवादी उमर शेख की गिरफ्तारी और 1980 के दशक में कुख्यात डाकू मलखान सिंह के गिरोह का सफाया भी उनकी उपलब्धियों में शामिल है.
सेवानिवृत्ति के बाद, वे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) में प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में आतंकवाद और उग्रवाद निरोधक मामलों पर कार्य कर रहे हैं.
1991 बैच की एजीएमयूटी कैडर की अधिकारी नुज़हत हसन भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पहली मुस्लिम महिला अधिकारी हैं. वे दिल्ली पुलिस की विशेष आयुक्त हैं और 2018 तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की पुलिस महानिदेशक भी रही हैं.उनका नेतृत्व कौशल, संवेदनशीलता और निर्णय लेने की क्षमता उन्हें महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाती है.
नजमुल होदा 2001 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की. वर्तमान में वे तमिलनाडु के मुख्य सतर्कता विभाग में आईजीपी हैं.
उन्होंने एक अमेरिकी सम्मेलन में भारत में मुस्लिमों की सांस्कृतिक विरासत पर विचार रखते हुए आह्वान किया कि मुस्लिमों को अपने देश में आस्था और अपनेपन के बीच झूठे द्वंद्व से ऊपर उठना चाहिए. उनकी बेबाक राय को सराहा भी गया और आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान एक सच्चे राष्ट्रभक्त अफसर की तरह बनाई.
अब्दुर रहमान, महाराष्ट्र कैडर के एक प्रतिष्ठित आईपीएस अधिकारी रहे हैं. IIT से पढ़ाई के बाद वे पुलिस सेवा में आए और 21 वर्षों तक देश की सेवा की. धुले और सोलापुर में कार्यरत रहते हुए उन्होंने संगठित अपराध पर बड़ी कार्रवाई की.
2019 में उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में अपने पद से इस्तीफा देकर एक नैतिक उदाहरण पेश किया. वे महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के विशेष महानिरीक्षक रहे हैं और दो चर्चित पुस्तकों के लेखक भी हैं — "Absent in Politics and Power" और "Daniel and Deprivation."
एस.आई.एस. अहमद ने अपने करियर में कई शीर्ष पदों पर कार्य किया है, जिनमें सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और एसपीजी के महानिदेशक शामिल हैं. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) का भी नेतृत्व किया है.
सेवानिवृत्ति के बाद वे जीएमआर समूह में विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं. उनका करियर बहुआयामी अनुभवों से भरा है, और वे उन अधिकारियों में शामिल हैं जिन्होंने हर चुनौती को एक अवसर में बदला.
यामीन हज़ारिका, 1977 बैच की DANIPS अधिकारी थीं और दिल्ली पुलिस में डीसीपी के पद तक पहुँचीं. वे असम की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थीं और एक प्रेरणास्रोत महिला के रूप में जानी जाती हैं.
1999 में 43 वर्ष की आयु में कैंसर से उनका निधन हुआ, लेकिन उन्होंने पुलिस सेवा में महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया. एकल अभिभावक के रूप में अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हुए उन्होंने कर्तव्य और मातृत्व दोनों को सफलतापूर्वक निभाया.
जावीद अहमद Jaweed Ahmad), 1984 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी रहे हैं और राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद तक पहुंचे. वे पटना के निवासी हैं और तकनीकी नवाचार व पुलिस बल के मानवीकरण में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं.
उन्हें कई राष्ट्रीय सम्मान मिले हैं, जिनमें राष्ट्रपति पुलिस पदक और विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं. वे यूपी पुलिस में ई-गवर्नेंस, साइबर क्राइम और आधुनिकीकरण लाने के लिए जाने जाते हैं.
हनीफ कुरैशी, हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं जो विभिन्न ज़िलों में एसपी और आईजी के पदों पर कार्य कर चुके हैं. वर्तमान में वे हरियाणा पुलिस के आईजी (कानून-व्यवस्था) हैं.
उन्होंने अमेरिका से MBA और PhD (क्रिमिनल जस्टिस) की डिग्री प्राप्त की है. साथ ही वे एक TEDx वक्ता और शोधार्थी हैं जिनके लेख अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं.वह हरियाणा वक्फ बोर्ड के सीईओ भी रहे और उनके नेतृत्व में मेवात इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई.
अकील मोहम्मद, 1989 बैच के हरियाणा कैडर के अधिकारी हैं. वे होमगार्ड के महानिदेशक के पद पर कार्यरत हैं और पुलिस संचालन, रणनीतिक प्लानिंग और क्राइम कंट्रोल में उनका लंबा अनुभव रहा है.उनकी कार्यशैली अनुशासित, व्यावहारिक और जनता-केंद्रित रही है। वे हरियाणा पुलिस के प्रमुख प्रशासनिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं.
एम.ए. सलीम, कर्नाटक कैडर के 1993 बैच के अधिकारी हैं और वर्तमान में राज्य के डीजीपी और आईजीपी के पद पर कार्यरत हैं. उन्हें बेंगलुरु के यातायात प्रबंधन में सुधार के लिए "वन-वे सलीम" की उपाधि मिली.वे CID, ट्रैफिक, और स्पेशल पुलिस आयुक्त जैसे पदों पर अपनी प्रशासनिक कुशलता और पारदर्शिता के लिए पहचाने जाते हैं. उनका नेतृत्व कर्नाटक पुलिस के आधुनिकीकरण में अहम रहा है.
भारत की पुलिस सेवा में मुस्लिम अधिकारियों का योगदान गौरवपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है. इन अधिकारियों ने अपने कार्य से साबित किया है कि समर्पण, सेवा, और देशप्रेम धर्म, जाति या पृष्ठभूमि से परे होते हैं. इनका जीवन और सेवा युवाओं को प्रेरणा देती है कि सच्चे प्रयास और ईमानदारी से कोई भी व्यक्ति देश की सर्वोच्च सेवाओं में अपना स्थान बना सकता है.