लखनवी गंगा-जमुनी तहजीब: रामलीला में मुसलमान बनते हैं राम, लक्ष्मण, सीता

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-10-2024
  Muslims play the role of Ram, Laxman and Sita in Ramlila
Muslims play the role of Ram, Laxman and Sita in Ramlila

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-लखनऊ

यहां बख्शी का तालाब में गंगा-जमुनी संस्कृति की परंपरा आज भी जीवित है. यहां 12 अक्टूबर से शुरू होने वाली तीन दिवसीय रामलीला में 21 हिंदू-मुस्लिम कलाकार हिस्सा लेंगे. शिव बारात निकलने के बाद शुरू होने वाली इस रामलीला का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें राम, लक्ष्मण और सीता की भूमिकाएं मुस्लिम युवक निभाते हैं. ये परंपरा यहां पिछले 48 साल से चलती आ रही है. साल 1972 बख्शी का तालाब में रामलीला शुरू कराने की पहल एक हिंदू और एक मुसलमान ने ही की थी.

रामलीला के तत्कालीन प्रधान मैकू लाल यादव और उनके मित्र मुजफ्फर हुसैन ने इस राम लीला को शुरू किया था. बक्शी का तालाब में हो रही रामलीला में तो 60 प्रतिशत मुस्लिम कलाकार किरदार निभाते हैं. इन दिनों बख्शी का तालाब दशहरा मेले में आयोजित होने वाली रामलीला के कलाकार रुडी स्थित मैकू लाल स्कूल में जमकर रिहर्सल कर रहे हैं.

66 वर्षीय निर्देशक साबिर खान अब तक जनक, रावण, कुम्भकर्ण और विश्वामित्र का किरदार निभा चुके हैं. साबिर खान के बेटे सलमान, अरबाज और मोहम्मद शेरखान भी रामलीला का किरदार निभाते हैं. साबिर खान का कहना है कि 48 साल की यात्रा में उन्होंने कभी भी कलाकारों में जोश की कमी नहीं देखी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें लासा कौल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया था.

साबिर ने जानकारी दी कि 20 वर्षीय साहिल खान पिछले दस वर्षों से इस रामलीला का हिस्सा हैं और इस बार वे राम की भूमिका में नजर आएंगे. 18 वर्षीय कैश खान भी पिछले इतने ही समय से रामलीला से जुड़े हुए हैं, और इस बार वे लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे हैं. वहीं, 15 वर्षीय फरहान खान सीता का किरदार निभाने वाले हैं, और वे पिछले तीन सालों से इस रामलीला में भाग ले रहे हैं. इसी प्रकार अजय मौर्य हनुमान की भूमिका निभा रहे हैं.

आदर्श मॉन्टेसरी स्कूल में यूकेजी के छात्र मोहम्मद अरशद और उनके छोटे भाई हमजा खान रामलीला से बेहद प्रभावित हैं. पढ़ाई के साथ-साथ वे भी माइकूलाल स्कूल में रामलीला की रिहर्सल में शामिल होते हैं. इस बार हमजा खान रामलीला के मुख्य दृश्य जनक बारात में राजा की भूमिका में दिखेंगे.

बख्शी का तालाब निवासी मंसूर अहमद के मुताबिक, बख्शी का तालाब रमालीला कमेटी के सामने एक बड़ा संकट 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद आ गया था. उनका कहना है, ‘‘तब रामलीला के मंचन पर संदेह हो रहा था. उस वक्त लोगों का कहना था कि कमेटी के सदस्य ख़ुद आगे आएं और रामलीला करवाएं. मंसूर अहमद बताते हैं कि ऐसा ही हुआ और 1993 में रावण की भूमिका उन्होंने ख़ुद ही निभाई थी.’’

नागेंद्र सिंह चौहान 1982 से बख्शी रामलीला से जुड़े थे. उनका कहना है, “मुजफ्फर हुसैन जी ने बख्शी का तालाब में इसलिए भी रामलीला शुरू की थी, क्योंकि वहां के लोगों को रामलीला देखने के लिए 25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था”.

इस तरह, बख्शी का तालाब की रामलीला गंगा-जमुनी तहजीब का एक अद्भुत उदाहरण पेश करती है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के कलाकार मिलकर इस पारंपरिक आयोजन को संजीवनी दे रहे हैं.

 

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