कोलकाता
शनिवार को कोलकाता और आसपास के हावड़ा की सड़कों पर अफरातफरी और हिंसक विरोध-प्रदर्शन का माहौल देखने को मिला। यह दिन राज्य संचालित आरजी कर अस्पताल की एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की पहली बरसी का था। इस दौरान पीड़िता की मां को सिर में चोट लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
‘नबन्ना चलो अभियान’ के तहत राज्य सचिवालय की ओर कूच करने के दौरान कई स्थानों पर और कई चरणों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ। मार्च में कोलकाता और हावड़ा दोनों ओर से तीन प्रमुख जुलूस शामिल हुए थे। पुलिस ने जगह-जगह 10 फुट ऊँची लोहे की बैरिकेड्स लगाकर कड़े बंदोबस्त किए थे।
यह मार्च पीड़िता के माता-पिता की अपील पर आयोजित हुआ, जिन्होंने नागरिकों से “अधूरी न्याय यात्रा” में साथ देने का आह्वान किया था।
हजारों लोगों ने इसमें भाग लिया, जिनमें विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी, भाजपा के कई विधायक और नेता भी शामिल थे। भाजपा ने इस कार्यक्रम में पार्टी के झंडों का इस्तेमाल नहीं किया।
प्रतिभागी हाथों में तिरंगा और “अभया को न्याय दो” लिखे पोस्टर लिए हुए थे, जबकि मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग के नारे शहर की दोपहर की हवा में गूंजते रहे।
मीडिया के कुछ हिस्सों में आरजी कर पीड़िता को ‘अभया’ कहा जा रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना प्रतिबंधित है।
पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि मार्च के दौरान पुलिस ने उनके साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की। यह घटना तब हुई जब पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर कोलकाता पुलिस ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
इसके बाद पीड़िता के माता-पिता को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। मां के माथे पर सूजन साफ दिखाई दे रही थी। उन्होंने बताया कि उनके माथे, हाथ और पीठ पर चोटें आईं। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, उनका सीटी स्कैन और अन्य जांचें कराई गईं।
मां ने कहा, “पुलिस ने मुझे धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। मेरा ‘शंखा’ (पारंपरिक चूड़ी) तोड़ दिया और माथे पर मारा।”
हालांकि पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता पर बल प्रयोग करने से इनकार किया।
डीसी (पोर्ट) हरिकृष्ण पाई ने कहा, “हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर पीड़िता के माता-पिता को पीटा गया। पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। फिर भी उनके आरोपों की जांच होगी।”
पुलिस की रोक के बावजूद, माता-पिता पैदल हेस्टिंग्स तक पहुंचे, जहाँ उन्हें विद्यासागर सेतु के नीचे फिर से बैरिकेड पर रोका गया। मां ने सवाल किया, “हमें ऐसे क्यों रोका जा रहा है? हम तो बस नबन्ना जाकर अपनी बेटी के लिए न्याय चाहते हैं।”
प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्होंने “महिलाओं की सुरक्षा में नाकामी” दिखाई है। मां ने कहा, “आप इतने अमानवीय क्यों हैं? हम निहत्थे हैं, फिर भी आप डरते हैं? मैं तब तक नहीं रुकूंगी जब तक मुख्यमंत्री से मिलकर न्याय नहीं ले लूं।”
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें डोरिना क्रॉसिंग तक पहुंचने से रोकने की कोशिश की, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शांतिपूर्ण रैली की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा, “पुलिस हमारे घर से निकलते ही पीछा करने लगी। सिंथी क्रॉसिंग पर हमारे वाहन की तस्वीर खींचकर आगे भेज दी गई ताकि हमें रोका जा सके। हमें पुलिस से बचते-बचाते डोरिना क्रॉसिंग पहुंचना पड़ा।”
पार्क स्ट्रीट की घटना के बाद सुवेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा नेता पुलिस बैरिकेड के सामने तीन घंटे तक धरने पर बैठे। उन्होंने आरोप लगाया कि 100 से अधिक प्रदर्शनकारी, जिनमें वह और अन्य भाजपा नेता भी शामिल हैं, पुलिस कार्रवाई में घायल हुए और कई को अस्पताल जाना पड़ा।
अधिकारी ने एक वीडियो दिखाया जिसमें कथित रूप से पुलिस की कार्रवाई दिखाई दे रही थी और कहा, “हम पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कराएंगे।”
उधर, कोलकाता पुलिस ने संकेत दिया कि भाजपा विधायक और पूर्व क्रिकेटर अशोक डिंडा के खिलाफ पुलिसकर्मियों को धमकाने और मारपीट के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया जा सकता है।
हावड़ा के संतरागाछी और हावड़ा मैदान में भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की। कई प्रदर्शनकारी 10 फुट ऊँची बैरिकेड्स पर चढ़ते हुए देखे गए।
टीएमसी मीडिया सेल के प्रमुख देबांशु भट्टाचार्य ने कहा, “यही तो भाजपा चाहती थी — सड़कों पर अराजकता फैलाना और जब पुलिस कार्रवाई करे तो पीड़िता के माता-पिता को इसमें घसीटना। मुझे अफसोस है कि माता-पिता को भाजपा की संकीर्ण राजनीति में फंसा दिया गया।”
मंत्री शशि पांजा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने रक्षाबंधन के दिन नागरिकों को डराने और समाज में विभाजन फैलाने की कोशिश की।