Karnataka: Accused arrested for duping people of crores of rupees in the name of getting jobs abroad
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मंगलुरु पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 300 से अधिक लोगों से एक करोड़, 82 लाख रुपये की ठगी एवं धोखाधड़ी करने के एक मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
मंगलुरु के पुलिस आयुक्त अनुपम अग्रवाल ने 'पीटीआई भाषा' को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आरोपी ने इस मामले के शिकायतकर्ता को विदेश में नौकरी दिलाने का विश्वास दिलाकर उससे 1,65,000 रुपये ऐंठ लिए थे. उन्होंने बताया कि आरोपी ने कई अन्य युवकों को भी इसी तरह झांसा देकर लगभग 1 करोड़ 82 लाख रुपये की धोखाधड़ी की.
अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में मंगलुरु शहर के पूर्वी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था जिसकी जांच अब पुलिस की अपराध शाखा कर रही है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान मुंबई निवासी मसीउल्लाह अतीउल्लाह खान (36 वर्ष)के रूप में हुई है। उसे गहन पूछताछ की जा रही है.
अग्रवाल ने यह भी बताया कि आरोपी के खिलाफ दिसंबर 2024 में मंगलुरु पूर्वी पुलिस थाने में आव्रजन अधिकारियों ने बिना किसी वैध लाइसेंस या परमिट के कंपनी खोलकर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देने के आरोप में एक मामला दर्ज किया था. दोनों मामले विस्तृत जांच के लिए मंगलुरु पूर्वी पुलिस की अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिए गए हैं. इससे पूर्व सोमवार को मंगलुरु पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी से जुड़े आपराधिक मामलों की जांच में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप में अपने दो पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
एक प्रेस विज्ञप्ति में सोमवार को पुलिस ने बताया था कि इस मामले में मंगलुरु पूर्व पुलिस थाने में तैनात पुलिस निरीक्षक सोमशेखर जी.सी. और पुलिस उपनिरीक्षक उमेश कुमार एमएन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. निलंबित पुलिस निरीक्षक सोमशेखर पर आरोप है कि उन्होंने ‘मैसर्स हायरग्लो एलिगेंट ओवरसीज इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड’ के खिलाफ पिछली शिकायतों और उच्च अधिकारियों के निर्देशों के बावजूद उचित कानूनी कार्रवाई नहीं की. इस मामले में कंपनी पर लगभग 300 लोगों के साथ ठगी करने का आरोप है.
पीएसआई उमेश कुमार एम.एन. को भी जांच में कई गंभीर खामियों के लिए निलंबित किया गया है. इन खामियों में आरोपी को गिरफ्तार करने में विफलता, महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठा न करना, पीड़ितों और गवाहों से पूछताछ न करना और वित्तीय सुरागों पर कार्रवाई न करना शामिल है, जिससे जांच प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित हुई. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी ग