केंद्र ने खुफिया ब्यूरो के प्रमुख तपन कुमार डेका का कार्यकाल फिर बढ़ाया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 20-05-2025
Centre again extends tenure of Intelligence Bureau chief Tapan Kumar Deka
Centre again extends tenure of Intelligence Bureau chief Tapan Kumar Deka

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

 
खुफिया ब्यूरो (आईबी) के प्रमुख के रूप में आतंकवाद निरोधी विशेषज्ञ तपन कुमार डेका का कार्यकाल मंगलवार को जून 2026 तक और एक साल के लिए बढ़ा दिया गया। यह उनका उनका दूसरा ऐसा विस्तार है.
 
पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में छह मई की देर रात पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर भारत के हमले के बाद उभरती सुरक्षा स्थिति के बीच आईबी प्रमुख डेका का कार्यकाल बढ़ाया गया है. हिमाचल प्रदेश संवर्ग के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी डेका (62) को जून 2022 में दो साल के लिए आईबी प्रमुख नियुक्त किया गया था। पिछले साल जून में उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था.
 
कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने खुफिया ब्यूरो के निदेशक के रूप में डेका के कार्यकाल में एक वर्ष के विस्तार को मंजूरी दे दी है जो 30 जून 2025 से लागू होगी. डेका के विस्तारित कार्यकाल के पूरा होने से एक माह पहले जारी किये गये इस आदेश में कहा गया है कि उनका सेवा विस्तार ‘अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियमावली, 1958 के नियम 16 ​​(1ए) और एफआर 56 (डी) के प्रावधानों में छूट के तहत’ किया गया है.
 
ये नियम केंद्र सरकार को ‘सार्वजनिक हित’ में आईबी और ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)’ के प्रमुखों, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव और अन्य की सेवाओं को 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु से आगे बढ़ाने की अनुमति देते हैं. सत्ता के गलियारों और खुफिया बिरादरी में संकट प्रबंधक के रूप में जाने जाने वाले डेका को विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में ‘अभियानों का विशेषज्ञ’ माना जाता है.
 
आईबी की बागडोर संभालने से पहले उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक उसके ‘ऑपरेशन विंग’ के प्रमुख के रूप में कार्य किया. डेका 2008 में 26/11 मुंबई हमले के दौरान जवाबी हमलों के प्रभारी भी थे. आतंकवाद और इस्लामी कट्टरपंथ से संबंधित मामलों को संभालने में माहिर डेका ने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के खिलाफ भी अभियान का नेतृत्व किया था, जिसका 2000 के दशक में देश भर में कई विध्वंसक गतिविधियों के पीछे हाथ था.
 
जब 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई तब उन्हें इस अस्थिर स्थिति को संभालने के लिए अपने गृह राज्य असम में भी तैनात किया गया था. डेका जम्मू-कश्मीर के मामलों में सरकार के लिए सबसे भरोसेमंद व्यक्ति रहे हैं क्योंकि उन्हें केंद्र शासित प्रदेश में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने का व्यापक अनुभव है.