नई दिल्ली
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने नेपाल में बढ़ते राजनीतिक और सामाजिक संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों से हिंसा छोड़कर शांति और संवाद के माध्यम से समाधान तलाशने की अपील की।
मीडिया को जारी बयान में हुसैनी ने कहा, “नेपाल में व्याप्त अशांति बेहद चिंताजनक है। किसी भी तरह की हिंसा अस्वीकार्य है। हम उन युवाओं और राजनीतिक नेताओं के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस उथल-पुथल में अपनी जान गंवाई, और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। राज्य का दमन हो या हिंसक प्रदर्शन—दोनों ही समाज को और अस्थिरता की ओर धकेलते हैं।”
उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट नेपाल की गहरी समस्याओं को उजागर करता है—जैसे भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, मीडिया सेंसरशिप, आर्थिक संकट, जातीय भेदभाव और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी। उन्होंने चेताया कि जब लोगों की आवाज़ को अनसुना कर सत्तावादी तरीकों से दबा दिया जाता है तो निराशा हिंसक रूप धारण कर लेती है। “सच्चा नेतृत्व असहमति को दबाने में नहीं, बल्कि न्याय और विनम्रता से सुनने में है,” उन्होंने जोड़ा।
हुसैनी ने कहा कि नेपाल का लोकतंत्र राजशाही के खिलाफ लंबे संघर्ष से हासिल हुआ है। ऐसे में ज़रूरी है कि मौजूदा विरोध लोकतांत्रिक सुधार का अवसर बने, न कि देश को फिर से सत्तावाद या बहुसंख्यकवादी राजनीति की ओर धकेल दे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थिरता केवल बल प्रयोग से नहीं, बल्कि न्याय, जवाबदेही और नागरिक अधिकारों के सम्मान से आती है। इसके लिए राजनीतिक सुधारों के साथ नैतिक जिम्मेदारी और ईश्वर-चेतना का नवीकरण भी आवश्यक है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता जताते हुए जीवन की रक्षा, लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा और शांति व समृद्धि के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है।