आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि असुरक्षित भोजन, विशेषकर मांस और मांस उत्पाद, भंडारण या बिक्री करते पकड़े जाने वालों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए, जिसमें आपराधिक मुकदमे भी शामिल हों.
मुख्यमंत्री ने यहां एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए हाल ही में कश्मीर घाटी में असुरक्षित मांस और मांस उत्पादों की जब्ती के बाद चल रहे खाद्य सुरक्षा प्रवर्तन अभियान की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालने वालों पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, जबकि गंभीर मामलों में आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, "यह गंभीर समस्या लंबे समय तक अनदेखी और अनियंत्रित रही है. कुछ लालची तत्वों ने लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ किया है। यह अब खत्म होना चाहिए और जानबूझकर ऐसा करने वालों को कानून का सामना करना होगा.
उन्होंने अधिकारियों की इस अभियान के लिए सराहना करते हुए कहा कि इसमें किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और संबंधित विभागों का ऑडिट किया जाएगा. साथ ही, जम्मू-कश्मीर में अस्वच्छ मांस और अन्य खाद्य पदार्थों के आयात, बिक्री और उपयोग पर रोक के लिए तंत्र को मजबूत किया जाएगा.
गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने लक्ष्मणपुर और काजीगुंड में प्रवेश बिंदु जांच चौकियां और परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने का आदेश दिया, जहां मटन, चिकन और अन्य नाशवान वस्तुओं की जांच होगी. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं केवल जम्मू और श्रीनगर में ही नहीं, बल्कि हर जिला मुख्यालय में स्थापित की जाएं.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उचित अनुमति के बिना मांस की बिक्री और उपयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे स्वयं कानून हाथ में लेने के बजाय संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें और विभाग को पुलिस के साथ मिलकर अचानक छापेमारी करने का निर्देश दिया. साथ ही, नियमों का पालन करने वाले व्यापारियों को परेशान न करने की हिदायत भी दी.