आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष मुद्रास्फीति दर अन्य महानगरों तथा राष्ट्रीय औसत से काफी कम रही। ऐसा खासकर ईंधन एवं प्रकाश समूह में रहा, लेकिन खाद्य एवं पेय तथा आवास क्षेत्रों में यह दर बढ़ी। एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) का आकलन दिल्ली और 14 अन्य महानगरों के बीच किया गया। इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, इंदौर, फरीदाबाद, गाजियाबाद, भोपाल, चंडीगढ़, वाराणसी, अमृतसर तथा लखनऊ शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कोलकाता में सीपीआई (आईडब्ल्यू) में सबसे अधिक 3.6 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.4 प्रतिशत रहा। इसके बाद मुंबई (3.0 प्रतिशत), दिल्ली (1.8 प्रतिशत) का स्थान रहा। चेन्नई में कोई बदलाव नहीं हुआ।
चयनित 15 प्रमुख शहरों में कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए दिल्ली का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तीसरा सबसे कम तथा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पांचवां सबसे कम रहा। सबसे अधिक सूचकांक लखनऊ और चंडीगढ़ में दर्ज किया गया।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) एक ऐसा तरीका है जिससे यह पता चलता है कि आम घरों के लिए रोजमर्रा की ज़रूरी चीज़ें और सेवाएं (जैसे खाना, कपड़ा, दवा, किराया, बिजली आदि) समय के साथ कितनी महंगी या सस्ती हुई हैं।
वर्ष 2020, 2021, 2023 और 2024 में दिल्ली की मुद्रास्फीति दर पूरे भारत की तुलना में कम रही। हालांकि, 2022 में दिल्ली की मुद्रास्फीति दर, पूरे देश से अधिक थी। पिछले साल दिल्ली में मुद्रास्फीति दर 1.7 प्रतिशत रही, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.8 प्रतिशत था।
सीपीआई (आईडब्ल्यू) के अनुसार दिल्ली में 2020 से 2024 के बीच मुद्रास्फीति की दर 1.7 प्रतिशत से लेकर आठ प्रतिशत तक रही है। 2024 में मुद्रास्फीति दर 1.7 प्रतिशत रही, जबकि 2023 में यह 3.7 प्रतिशत थी।