मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली
यदि आपकी अंग्रेज़ी अच्छी नहीं है और आपके पास पैसे भी बहुत कम हैं, फिर भी आप मास्टर्स ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) जैसा प्रतिष्ठित कोर्स करना चाहते हैं, तो यह ख़बर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं। अब आप महज़ ₹31,000 ख़र्च करके एमबीए की डिग्री हासिल कर सकते हैं। इतना ही नहीं, यह पढ़ाई आप नौकरी करते हुए, दूसरी पढ़ाई के साथया घर पर रहकर भी पूरी कर सकते हैं। बस एक छोटी सी शर्त है: दसवीं या बारहवीं कक्षा में आपका एक विषय उर्दू होना चाहिए।

यह ऐतिहासिक पहल हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने की है। यूनिवर्सिटी ने उर्दू माध्यम से डिस्टेंस एजुकेशन (दूरस्थ शिक्षा) के तहत एमबीए की पढ़ाई कराने का ऐलान किया है, जो देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। यह क़दम भारत में लाखों छात्रों, विशेषकर उन लोगों के लिए, एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है जो वित्तीय या भाषाई बाधाओं के कारण प्रबंधन शिक्षा के महंगे क्षेत्र में क़दम नहीं रख पाते थे।
लागत और स्वीकृति का बड़ा फ़ैसला
मौलाना आज़ाद उर्दू यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन (CDOE) के निदेशक प्रोफ़ेसर मोहम्मद रज़ाउल्लाह ख़ान ने इस पहल की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने इसी साल जुलाई में उर्दू माध्यम से एमबीए कराने की अनुमति दी है, जो इस कोर्स के लॉन्च का आधार बना।
यह अनुमति केवल मौलाना आज़ाद उर्दू यूनिवर्सिटी की प्रतिबद्धता का परिणाम नहीं है, बल्कि यह विकसित भारत@2047के विज़न को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया एक दूरदर्शी फ़ैसला भी है, जहाँ बड़े पैमाने पर कौशल विकास पर ज़ोर दिया जा रहा है।
इस दो साल के कोर्स में छह-छह महीने के चार सेमेस्टर होंगे। सबसे बड़ी राहत इसकी न्यूनतम फीस है। छात्रों को पहले साल की फीस के तौर पर ₹15,000और दूसरे साल ₹16,000अदा करने होंगे, यानी कुल लागत सिर्फ़ ₹31,000। प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में, जहाँ निजी संस्थानों की फीस लाखों में होती है, यह क़दम उन गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को सीधे लाभ पहुँचाएगा जो उर्दू पृष्ठभूमि से आते हैं।

प्रवेश, अध्ययन और अवसर
डिस्टेंस से एमबीए कराने के लिए यूनिवर्सिटी ने 1000 सीटें निर्धारित की हैं। दाखिले के लिए आवेदक को एक प्रवेश परीक्षा (Entrance Exam) देनी होगी। प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ान ने बताया कि यह दाखिला परीक्षा देश के कई सेंटरों पर आयोजित की जाएगी ताकि दूर-दराज़ के छात्र भी आसानी से इसमें भाग ले सकें।
दाख़िला लेने वाले छात्र मार्केटिंग, एचआर (मानव संसाधन) और फ़ाइनेंस (वित्त) जैसे तीन महत्वपूर्ण विशेषज्ञताओं (Specializations) में एमबीए कर सकते हैं। ये सभी क्षेत्र आज के कॉर्पोरेट जगत की रीढ़ हैं और छात्रों को उच्च रोज़गार क्षमता प्रदान करेंगे।
इस कोर्स को विशेष रूप से छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। दाख़िले के बाद सभी पठन सामग्री (Study Material) और दूसरी सहूलियतें ऑनलाइन माध्यम से मुहैया कराई जाएंगी।
ज़रूरत पड़ने पर ऑनलाइन क्लासें भी ली जाएंगी, जिससे छात्र घर बैठे या अपने काम के स्थान से अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
सबसे महत्वपूर्ण बात, जो छात्रों को आकर्षित करेगी, वह है रोज़गार का अवसर। सेंटर के निदेशक ने स्पष्ट किया है कि नौकरी के लिए अन्य सब्जेक्ट के छात्रों की तरह, उर्दू माध्यम से डिस्टेंस एजुकेशन के तहत एमबीए करने वाले छात्रों को भी कैंपस सेलेक्शन (Campus Selection) का पूरा मौक़ा दिया जाएगा।
यह सुनिश्चित करता है कि डिग्री की गुणवत्ता और बाज़ार में उसका मूल्य किसी भी तरह से कम न हो।

शिक्षा की मुख्यधारा और विकसित भारत का लक्ष्य
प्रोफ़ेसर रज़ाउल्लाह ख़ान ने बताया कि एमबीए के अलावा, यूनिवर्सिटी ऑनलाइन डिप्लोमा इन सोशल मीडिया जर्नलिज्म शुरू करने की भी योजना बना रही है। साथ ही, “मदरसा कनेक्ट प्रोग्राम” नामक एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा, जो 100 मदरसों के छात्रों को छह महीने का इंग्लिश-स्पीकिंग कोर्स प्रदान करेगा।
इन पहलों का लक्ष्य छात्रों को व्यापक शैक्षिक अवसर प्रदान करना है, जैसा कि डॉ. मोहम्मद अहसन, क्षेत्रीय निदेशक, RC भोपाल, ने मदरसों से इन कार्यक्रमों का लाभ उठाने का आग्रह करते हुए कहा।
यह एमबीए कार्यक्रम केवल एक डिग्री नहीं है; यह उन छात्रों के लिए एक सेतु है जो भाषा और पैसों की कमी के कारण मुख्यधारा की उच्च शिक्षा से दूर थे। प्रोफ़ेसर नौशाद हुसैन, प्रिंसिपल, CTE भोपाल ने इस विचार का समर्थन किया कि भारत की बढ़ती शैक्षिक मांगों को पूरा करने के लिए केवल पारंपरिक शिक्षा पर्याप्त नहीं होगी।
MANUU का यह प्रयास यह सुनिश्चित करता है कि भारत की बड़ी उर्दू भाषी आबादी भी विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने में पूरी तरह से भागीदार बन सके।इस कम लागत वाले डिस्टेंस एमबीए कोर्स के ज़रिए, MANUU ने न सिर्फ़ उर्दू भाषा को कॉर्पोरेट जगत के लिए खोल दिया है, बल्कि हज़ारों योग्य और महत्वाकांक्षी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का रास्ता भी साफ़ कर दिया है। यह एक ऐसी ख़बर है जो शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में बड़ी ख़ुशी और उम्मीद लेकर आई है।
दाखिला संबंधित और जानकारियों केलिए इस वीडियो को देख सकते हैें.