भारतीय सेना ने संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाए

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 20-05-2025
Indian Army organises free medical camp to support civilians affected in shelling during Indo Pak conflict
Indian Army organises free medical camp to support civilians affected in shelling during Indo Pak conflict

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
भारत-पाक संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित नागरिकों की सहायता के लिए मानवीय प्रयास के तहत भारतीय सेना ने मंगलवार को बारामूला के उरी सेक्टर में एक निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया. इस बीच, राजौरी जिले के स्थानीय लोगों के जीवन में तबाही मची हुई है, जो भारत-पाक संघर्ष के दौरान सबसे पहले गोलाबारी की जद में आए थे. 
 
इन स्थानीय लोगों के घर या तो नष्ट हो गए हैं या जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गए हैं. राजौरी के एक गांव के बुजुर्ग मोहम्मद ने बताया कि गोलाबारी की वजह से उनका पूरा घर ढह गया. उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके परिवार को टेंट और अन्य सहायता मुहैया कराई जाए, क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा, "सुबह जब मैं नमाज़ के लिए जा रहा था, तभी हमने विस्फोट सुना. हमारा दो मंज़िला घर गिर गया. अब यह रहने लायक नहीं रहा. हमें टेंट या किसी तरह की सहायता दी जानी चाहिए. 
 
वे (अधिकारी) आए, देखा और चले गए. मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया (सिर पर चोट लगने के बाद) और टांके लगाए गए. सात दिनों के बाद मुझे छुट्टी दे दी गई." उन्होंने कहा, "मैंने अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए कर्ज लिया...हमारे पास कोई सहारा नहीं है. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह हमारी हर संभव मदद करे." परिवार की एक सदस्य मारिया ने कहा कि जब गोलाबारी हुई, तब उनके चाचा मोहम्मद और उनके चचेरे भाई घर के अंदर थे, जिसके बाद वे बेहोश हो गए और थोड़ी देर बाद होश में आए. उन्होंने कहा, "जब गोलाबारी हुई, तब मेरे चाचा (मोहम्मद) और उनके परिवार के सदस्य घर के अंदर थे. गोलाबारी से उन्हें भारी नुकसान हुआ है. वे अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए मजदूरी करते हैं. 
 
जब गोलाबारी घर पर लगी, तो घर के सभी लोग बेहोश हो गए. जैसे ही उन्हें होश आया, उन्होंने मेरे चाचा की चोटों की देखभाल की. हम सरकार से उनकी मदद करने की अपील करते हैं." मोहम्मद की बेटी साइमा ने कहा कि उनके पिता ने मजदूरी करके उन्हें पढ़ाया और कर्ज लेकर घर बनवाया. उन्होंने दुख जताया कि उनकी नवविवाहित बहन के लिए रखे गए कई घरेलू सामान भी गोलाबारी के कारण नष्ट हो गए. भारत के साथ हाल ही में हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तान द्वारा की गई भीषण गोलाबारी ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार सीमावर्ती गांवों और जिलों में तबाही मचा दी है, जिससे स्थानीय लोगों के घरों और आजीविका को नुकसान पहुंचा है. 
 
कथित तौर पर, स्थानीय लोगों को नौशेरा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में उनके पशुधन, संपत्तियों और मुख्य रूप से उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचा है. एक हफ़्ते से ज़्यादा पहले सीमावर्ती गांवों में रहने वाले स्थानीय लोगों ने मांग की थी कि सरकार उन्हें क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवज़ा दे. उन्होंने भारत सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए न बख्शे.