भारत में 2026 में मुद्रास्फीति का स्तर कम रहने का अनुमान, नई सीपीआई श्रृंखला का इंतजार

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 30-12-2025
India's inflation forecast to remain low in 2026, awaiting new CPI series
India's inflation forecast to remain low in 2026, awaiting new CPI series

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 खाद्य कीमतों में नरमी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती से इस वर्ष महंगाई की स्थिति अनुकूल रहने के बाद भारत, 2026 में खुदरा महंगाई को लक्ष्य बनाने से जुड़े मौद्रिक नीति ढांचे में बदलाव और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की गणना की पद्धति में संशोधन की तैयारी कर रहा है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के सहज दायरे (दो से छह प्रतिशत) के भीतर बनी हुई है और अगले वर्ष भी इसी स्तर पर रहने के आसार हैं। इससे आने वाले महीनों में केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कम से कम एक और कटौती का अनुमान भी है।
 
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के अलावा, सरकार द्वारा सितंबर में करीब 400 वस्तुओं एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती के फैसले से भी देश में मूल्य स्थिति को और बेहतर बनाने में मदद मिली है।
 
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर ने भी 2025 के दौरान महंगाई के दबाव में स्पष्ट नरमी के संकेत दिए। वर्ष के शुरुआती महीनों में डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई बढ़ी लेकिन इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई, जो खासकर खाद्य एवं ईंधन श्रेणियों में कीमतों के दबाव के कम होने को दर्शाती है।
 
थोक मुद्रास्फीति में जून में गिरावट आई और यह रुख आगे भी जारी रहा। जुलाई और अक्टूबर में भी यह घटती गई।
 
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति या कुल महंगाई नवंबर 2024 से घटने लगी और इसके बाद जून 2025 तक यह रिजर्व बैंक के सहज दायरे (दो से चार प्रतिशत) में बनी रही। इसके बाद यह दो प्रतिशत से नीचे आ गई।
 
सीपीआई में लगभग 48 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य महंगाई जनवरी में करीब छह प्रतिशत से घटनी शुरू हुई और जून में यह शून्य से नीचे आ गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार नवंबर में खाद्य महंगाई शून्य से नीचे 3.91 प्रतिशत पर रही।
 
केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण व्यवस्था के संबंध में पहले ही एक परामर्श पत्र जारी कर चुका है।
 
इस बीच, सरकार एक नई सीपीआई श्रृंखला पर काम कर रही है जिसका आधार वर्ष 2024 = 100 होगा। इसमें सूचकांक संकलन में प्रयुक्त ‘कवरेज’, मदों की सूची, भार और कार्यप्रणाली में व्यापक संशोधन किया जाएगा।