508 किलोमीटर लंबा यह हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर अहमदाबाद के साबरमती और मुंबई के बीच बनाया जा रहा है, जिस पर ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। रेल मंत्री के अनुसार, यदि ट्रेन चार प्रमुख स्टेशनों पर रुकते हुए चलेगी, तो मुंबई-अहमदाबाद का सफर सिर्फ 1 घंटा 58 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। वहीं, सभी 12 स्टेशनों पर रुकने पर यह यात्रा 2 घंटे 17 मिनट में पूरी होगी।
वैष्णव ने बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत स्टेशन का दौरा किया था और उन्होंने निर्माण कार्य की गति और गुणवत्ता पर संतोष जताया। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के दौरान हुए नवाचारों को अन्य क्षेत्रों में भी अपनाने की सलाह दी है।
परियोजना की जटिलता और इसके डिजाइन को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए वैष्णव ने आश्वासन दिया कि पूरा कॉरिडोर वर्ष 2029 के अंत तक पूरी तरह संचालन में आ जाएगा। रेल मंत्रालय ने कॉरिडोर पर सिग्नलिंग सिस्टम के लिए सीमेंस के नेतृत्व वाले संयुक्त उपक्रम को ठेका दिया है, हालांकि उद्योग विशेषज्ञों ने यह संकेत दिया है कि यह प्रणाली जापान की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन तकनीक के अनुरूप न भी हो सकती है।
इसके साथ ही, ‘भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड’ को 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली स्वदेशी हाई-स्पीड ट्रेन विकसित करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है, जो भारत के आत्मनिर्भर प्रयासों को नई दिशा देगी।






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