नई दिल्ली
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत का इलेक्ट्रॉनिक निर्माण क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है और इसके वित्त वर्ष 2027-28 (FY28) तक 27.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
यह वृद्धि वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) से FY28 तक के पांच वर्षों में 27 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) सेक्टर को सरकार की अनुकूल नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स के बढ़ते उपयोग से मिल रहे अवसरों के चलते कई वर्षों तक विकास का लाभ मिलेगा।"
रिपोर्ट के अनुसार, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे EMS कंपनियों के लिए घरेलू मांग को पूरा करने के बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके साथ ही, वैश्विक कंपनियां भारत को चीन के सस्ते और भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रही हैं।
भारत का कुल इलेक्ट्रॉनिक बाजार (घरेलू उत्पादन + आयात) FY23 में 10.8 लाख करोड़ रुपये था, जो FY28 तक 21.5% CAGR की दर से बढ़कर 28.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की घरेलू खपत भी FY23 के 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर FY28 तक 17.9 लाख करोड़ रुपये हो सकती है, जिसकी अनुमानित CAGR 14.6% होगी।
वहीं, निर्यात में भी तेजी से बढ़ोतरी की उम्मीद है — FY23 से FY28 के बीच 43.9% CAGR के साथ यह 10.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसके विपरीत, आयात घटकर 2.4 लाख करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक आने की संभावना है।
भारत अब केवल एक सस्ते निर्माण केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाली डिज़ाइन क्षमताओं के लिए भी पहचाना जा रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पहले ही भारत में अपने परिचालन शुरू कर चुकी हैं या उनका विस्तार कर रही हैं।
FY23 में भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन 8.4 लाख करोड़ रुपये था, जो आने वाले वर्षों में तेज़ी से बढ़ेगा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि COVID-19 महामारी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरियों को उजागर किया, जिससे भारत ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाए। इसके तहत सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाएं शुरू कीं, जिससे वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
दुनियाभर में प्रति व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक खपत जहां 324 अमेरिकी डॉलर है, वहीं भारत में यह सिर्फ 78 डॉलर है, जिससे इस क्षेत्र में विकास की बड़ी संभावना दिखाई देती है।
भारत की प्रमुख ताकतों में युवा जनसंख्या, कम लागत वाली कुशल श्रमिक शक्ति, मितव्ययी इंजीनियरिंग कौशल और मजबूत डिज़ाइन क्षमताएं शामिल हैं। ये सभी कारक भारत को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम तैयार करने में मदद कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अब डिज़ाइन सेवाओं में भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। पहले यह काम चीन, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों को आउटसोर्स किया जाता था, लेकिन अब भारत इस क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कई EMS कंपनियां अब केवल अनुबंध निर्माण तक सीमित नहीं रहकर, पूरी डिज़ाइन सेवाएं भी दे रही हैं, जिससे उनके मुनाफे में भी बढ़ोतरी हो रही है।
कुल मिलाकर, भारत निकट भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिज़ाइन का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।