नई दिल्ली
जमीयत उलेमा दिल्ली प्रांत की एक महत्वपूर्ण बैठक आज राजधानी में आयोजित की गई, जिसमें देश के मौजूदा हालात पर गहन चिंता व्यक्त की गई। बैठक में खासतौर पर मदरसों, मस्जिदों और मुस्लिम बस्तियों को निशाना बनाए जाने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई गई और इसे भारत की एकता व अखंडता के लिए गंभीर खतरा बताया गया।
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि समाज में नफरत और सांप्रदायिकता का जहर जिस तरह से फैल रहा है, वह न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि पूरे राष्ट्र के भविष्य के लिए चिंता का विषय है। दिन-प्रतिदिन बढ़ रही सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध जमीयत की सभी स्थानीय व ज़िला इकाइयों को स्थायी समाज सुधार कार्यक्रम आयोजित करने और मस्जिदवार समितियां गठित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
बैठक की अध्यक्षता जमीयत उलेमा दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मुस्लिम कासमी ने की। बैठक की शुरुआत पवित्र कुरआन की तिलावत कारी मुहम्मद साजिद फैजी ने की, इसके बाद मौलाना अब्दुल्ला ने नात-ए-पाक पेश की।
बैठक का संचालन नाज़िम-ए-आला मुफ़्ती अब्दुल रज़ीक मज़ाहरी ने किया, जिन्होंने बैठक के एजेंडे पर विस्तार से प्रकाश डाला और सभी जिलों के प्रतिनिधियों से ज़मीनी स्तर पर लगातार सक्रिय रहने और सामाजिक सौहार्द कायम रखने की अपील की।
बैठक में निर्णय लिया गया कि मौजूदा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक और विशेष रणनीतिक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें आयोजक, प्रशासनिक इकाइयाँ और समाज के विभिन्न तबके के लोग शामिल होंगे। इस बैठक की तारीख और स्थान की घोषणा जल्द की जाएगी।
बैठक में दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रमुख उलेमा, मुफ्ती और जमीयत प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल हनान कासमी, कारी दिलशाद कमर मजाहेरी, मुफ्ती इसरार-उल-हक मजाहेरी, मौलाना इंतिज़ार हुसैन मजाहेरी (कसाबपुरा), मौलाना जमील कासमी (द्वारका), मुफ्ती मुहम्मद अयाज मजाहेरी (शास्त्री पार्क), मौलाना हसरत मजाहेरी (नरेला), हाफिज मुहम्मद यामीन (नेहाल विहार), चौधरी मुहम्मद इस्लाम (लक्ष्मी नगर), मौलाना मुहम्मद मुमताज कासमी (मादीपुर), मुफ्ती मुहम्मद तौहीद झारखंडी (शाहदरा), कारी फजलुर रहमान (सीलमपुर), मौलाना मुहम्मद अकील (मुस्तफाबाद), मौलाना मिस्बाहुद्दीन (मंगोलपुरी) और मौलाना मुहम्मद सलीम (आरके पुरम) सहित कई अहम नाम शामिल रहे।
बैठक का सार यह रहा कि देश के वर्तमान माहौल में जमीयत को अपनी भूमिका और अधिक प्रभावी ढंग से निभानी चाहिए और सामाजिक समरसता, इंसाफ़ व अमन के लिए सकारात्मक हस्तक्षेप बढ़ाना चाहिए।
यह बैठक न केवल एक औपचारिक आयोजन थी, बल्कि यह इस बात की पुष्टि भी थी कि देश में बढ़ती नफरत और सांप्रदायिकता के खिलाफ जमीयत उलेमा दिल्ली प्रांत एकजुट होकर खड़ी है — और भविष्य में इससे भी अधिक सक्रियता दिखाएगी।