Established in 2019, TRF has emerged as a deadly terror group in the Kashmir Valley
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के वर्ष 2019 में निरस्त किये जाने के बाद अस्तित्व में आया ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) घाटी में सबसे घातक आतंकवादी समूह के रूप में उभरा है और इसमें पाकिस्तान के विशेष सेवा समूह (एसएसजी) पूर्व कमांडो शामिल हैं। खुफिया सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन टीआरएफ ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी.
अमेरिकी विदेश विभाग ने बृहस्पतिवार को टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) संगठन की सूची में शामिल किया.
पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे. टीआरएफ के पहलगाम हमले के अलावा गत दो साल में चार अन्य बड़े हमलों में भी संलिप्त होने की पुष्टि हुई है.
इनमें जून 2024 में रियासी में तीर्थयात्रियों पर हमला, अक्टूबर 2024 में गांदरबल में जेड-मोड़ सुरंग (जिसे सोनमर्ग सुरंग भी कहा जाता है) में प्रवासी निर्माण श्रमिकों पर हमला; 13 सितंबर, 2023 को कोकरनाग मुठभेड़, जिसमें एक कर्नल, एक मेजर और एक पुलिस उपाधीक्षक की जान गई और 8 जुलाई, 2020 को बांदीपोरा जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)एक नेता पर हमला, जिसमें उनकी और उनके परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई थी.
सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रियासी और गांदरबल में हुए हमलों में सात तीर्थयात्रियों सहित 16 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए.
पाकिस्तान की ‘प्रोपगेंडा’ युद्ध मशीनरी टीआरएफ को ‘घरेलू’ उग्रवादी संगठन के रूप में प्रचारित करती है, जबकि यह लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है, जिसे कश्मीर में आतंकवाद को और अधिक ‘‘स्थानीय’’ प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया है.
टीआरएफ का गठन अक्टूबर 2019 में किया गया था तथा शेख सज्जाद गुल को सुप्रीम कमांडर, मोहम्मद अब्बास शेख को संस्थापक प्रमुख और बासित अहमद डार को मुख्य कार्रवाई कमांडर नामित किया गया था। स्थानीय आतंकवादी अब्बास और डार, दोनों को सुरक्षा बलों ने क्रमशः 23 अगस्त, 2021 और सात मई, 2024 को घाटी में अलग-अलग अभियानों में मार गिराया.
टीआरएफ ने इसके बाद जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया और अपनी रणनीति में बदलाव किया। पारंपरिक रूप से सुरक्षा बलों और राजनीतिक हस्तियों को निशाना बनाने वाले टीआरएफ ने 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और प्रवासी मजदूरों और पर्यटकों सहित नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
सुरक्षा एजेंसियों ने हमलावरों के सरगना की पहचान हाशिम मूसा उर्फ आसिफ फौजी के रूप में की है, जो कथित तौर पर एक पूर्व पाकिस्तानी एसएसजी कमांडो है और उसे एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक अली भाई का सहयोग प्राप्त था। अधिकारियों ने बताया कि हमले की साजिश कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के एक वरिष्ठ कमांडर और घोषित वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद के करीबी सहयोगी सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद ने रची थी.
उन्होंने बताया कि डिजिटल उपकरणों और सिग्नल से उनके संपर्क सीमा पार मुजफ्फराबाद और कराची से स्पष्ट होते हैं। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के बुनियादी ढांचे के साथ उनका गहरा समन्वय था.
अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाना कश्मीरी आतंकवादी समूहों की परिचालन नीति में संभावित बदलाव का संकेत है, जो क्षेत्र को अस्थिर करने, पर्यटन को हतोत्साहित करने और सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करने की व्यापक रणनीति के तहत सरकारी कर्मियों और बसने वालों से आगे बढ़कर असैन्य आगंतुकों को भी शामिल करने की उनकी मंशा को इंगित करता है.
उन्होंने बताया कि ‘‘फाल्कन स्क्वाड’ के तहत उच्च प्रशिक्षित, स्थानीय स्तर पर भर्ती किए गए आतंकवादियों का इस्तेमाल विकेन्द्रीकृत, मुश्किल से पकड़ में आने वाले आतंकवादियों पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है, जिससे जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय सुरक्षा और नागरिक जीवन दोनों के लिए भविष्य के खतरों के बारे में चिंता बढ़ रही है.र्शल जनरल असीम मुनीर इस खूनी रणनीति के सूत्रधार हैं.