नई दिल्ली
भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से निर्मित स्टील्थ फ्रिगेट INS सह्याद्री अपने दीर्घकालिक ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट के तहत इंडो-प्रशांत क्षेत्र में संचालन के दौरान जापान के सासेबो बंदरगाह पर पोर्ट कॉल कर चुका है। यह यात्रा न केवल भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत और संचालन क्षमता का प्रदर्शन है, बल्कि भारत-जापान के बीच रणनीतिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा के महत्व को भी उजागर करती है।
भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि 28 अक्टूबर को सासेबो पहुँचने पर INS सह्याद्री का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। स्वागत समारोह में जापान मैरिटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) के वरिष्ठ अधिकारी और नौसैनिक कर्मियों ने भाग लिया। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि सासेबो का यह पोर्ट कॉल जापान में INS सह्याद्री का दूसरा स्टेशन है, जो उसके "इंडो-प्रशांत क्षेत्र में लंबी दूरी के ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट" के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया।
प्रवक्ता ने इस अवसर पर कहा, "यह दौरा भारत-जापान रणनीतिक सहयोग को दर्शाता है और भारतीय नौसेना और जापान मैरिटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक है।"
भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी को दशकों का अनुभव है। द्विपक्षीय सहयोग में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और समुद्री अपराधों से निपटने, समुद्री मार्गों की सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण आयाम शामिल हैं। INS सह्याद्री का सासेबो पोर्ट कॉल इस साझेदारी को और सुदृढ़ करता है।
भारतीय नौसेना ने पिछले वर्षों में जापानी नौसेना के साथ नियमित कोऑर्डिनेशन और कॉमन एक्सरसाइजेज का हिस्सा बनते हुए, समुद्री सुरक्षा पर सहयोग को बढ़ाया है। इस दौरे के दौरान दोनों नौसेनाओं ने सामरिक और तकनीकी चर्चा की। INS सह्याद्री के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन राजत कुमार ने सासेबो डिस्ट्रिक्ट के कमांडेंट, वाइस एडमिरल फुकुदा तात्सुया से मुलाकात की। बातचीत का मुख्य फोकस दोनों नौसेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी और सहयोग बढ़ाने पर रहा।
INS सह्याद्री भारतीय नौसेना का एक अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट है। इसे भारतीय नौसेना की मिशन आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है, जिसमें एंटी-एयर, एंटी-शिप और एंटी-सबमरीन युद्धक क्षमताएँ शामिल हैं। यह जहाज न केवल लंबी दूरी की समुद्री यात्राओं के लिए सक्षम है, बल्कि इसमें उन्नत रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और स्टील्थ तकनीक भी है, जो इसे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुद्री मिशनों के लिए अत्यंत प्रभावी बनाती है।
भारतीय नौसेना ने बताया कि INS सह्याद्री का यह दौरा इंडो-प्रशांत क्षेत्र में उसकी ऑपरेशनल पहुंच और लॉजिस्टिक क्षमता का प्रदर्शन भी है। जहाज इस दौरान न केवल क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा अभ्यास में भाग ले रहा है, बल्कि अन्य नौसेनाओं के साथ अभ्यास और तकनीकी सहयोग के माध्यम से अपने ऑपरेशनल प्रोफाइल को और मजबूत कर रहा है।
सासेबो पोर्ट कॉल के दौरान कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई। इनमें शामिल हैं:
सामरिक सहयोग: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए संयुक्त अभ्यास और तट रक्षक गतिविधियों में सहयोग।
तकनीकी और प्रशिक्षण सहयोग: नौसैनिक अधिकारियों के बीच अनुभव साझा करना और आधुनिक नौसैनिक तकनीक के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
इंटरऑपरेबिलिटी: संयुक्त मिशनों में दो नौसेनाओं के जहाजों और विमानन इकाइयों के बीच तालमेल।
विशेष रूप से, सासेबो पोर्ट कॉल ने भारत-जापान रक्षा और रणनीतिक संवाद को भी सशक्त किया। दोनों पक्षों ने इस अवसर का उपयोग क्षेत्रीय मुद्दों जैसे समुद्री डकैती, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और समुद्री मार्गों की सुरक्षा पर गहन चर्चा के लिए किया।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र आज वैश्विक आर्थिक और सामरिक महत्व का केंद्र बन चुका है। यहाँ व्यापारिक मार्ग, समुद्री संसाधन और रणनीतिक पोजिशनिंग देशों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और जापान दोनों ही इस क्षेत्र में स्वतंत्र और मुक्त समुद्री मार्गों के समर्थक हैं। INS सह्याद्री का यह दौरा भारत की प्रगति, समुद्री ताकत और रणनीतिक गंभीरता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करता है।
विशेष रूप से, यह दौरा चीन और अन्य क्षेत्रीय ताकतों के बढ़ते समुद्री प्रभाव और गतिविधियों के बीच भारत और जापान के बीच मजबूत सामरिक सहयोग का संदेश भी देता है। यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय है, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
INS सह्याद्री के माध्यम से भारतीय नौसेना के युवा अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव और बहु-सांस्कृतिक नौसेना संचालन का प्रशिक्षण भी मिलता है। यह पोर्ट कॉल उन्हें विदेश में संचालन, विदेशी नौसेनाओं के साथ तालमेल और विभिन्न सामरिक परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।