आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि ‘‘भ्रामक दुष्प्रचार’’ के कारण समाज के एक वर्ग में आरएसएस को लेकर कुछ गलतफहमियां हैं।
भागवत ने ‘साइंस सिटी’ सभागार में आरएसएस के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि संघ का कोई शत्रु नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी ‘‘संकीर्ण स्वार्थ की दुकानें’’ संगठन के बढ़ने से बंद हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आरएसएस के बारे में कोई भी राय बनाने का अधिकार है लेकिन वह राय वास्तविकता पर आधारित होनी चाहिए, न कि ‘‘विमर्शों और द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त जानकारी’’ पर।
भागवत ने कहा, ‘‘लोगों के सामने वास्तविकता लाने के लिए देश के चार शहरों में व्याख्यान और संवाद सत्र आयोजित किए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि आरएसएस का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और संघ हिंदू समाज के कल्याण एवं संरक्षण के लिए कार्य करता है।
भागवत ने जोर देकर कहा कि देश एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ बनेगा और ‘‘समाज को इसके लिए तैयार करना संघ का कर्तव्य है।’’
शताब्दी समारोह के तहत आरएसएस कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में ऐसे सत्र आयोजित कर रहा है।
भारत के उत्थान को निश्चित बताते हुए भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म का उत्थान भी निकट है और इसलिए बुरे लोग चिंतित हैं।