हजरत निजामुद्दीन में झुग्गियों पर चला बुलडोजर, लोग बोले अब हम लोग कहां जाएं?

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 22-11-2023
Bulldozer ran on slums in Hazrat Nizamuddin
Bulldozer ran on slums in Hazrat Nizamuddin

 

ओनिका माहेश्वरी/नई दिल्ली

मंगलवार को भारी पुलिस तैनाती के बीच दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में सुंदर नर्सरी में तोड़फोड़ अभियान चलाया गया.
 
यहां के निवासी अब बेघर हैं, इनके पास सर ढकने के लिए कोई छत और स्थान नहीं बचा है यहां तक की इनके बच्चों की परीक्षा नज़दीक हैं ऐसे में इनके बच्चों का भवीष्य भी दाव पर है और कुछ ने तो अपनी नोकरी भी इस कारण खो दी है.
 
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, अभियान शांतिपूर्ण ढंग से चलाया गया.
 
जंगपुरा विधायक प्रवीण कुमार ने कहा, "(सुंदर नर्सरी में झुग्गियों को) ढहाने का आदेश पहले उच्च न्यायालय ने दिया था, लेकिन सुंदर नर्सरी में 216 झुग्गियां डीयूएसआईबी (दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड) के तहत पंजीकृत हैं. जब उच्च न्यायालय को इस बारे में अवगत कराया गया  , अदालत ने कल सुबह 10:30 बजे तक इस विध्वंस अभियान पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया.
 
एक निवासी ने पीटीआई-भाषा को बताया, "प्रधानमंत्री ने कहा था 'जहां झुग्गी वहां मकान'. अगर आप तोड़ रहे हैं तो हमें छत दीजिए. हम इस (अतिक्रमण विरोधी) पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें कुछ समय दीजिए ताकि हम कुछ व्यवस्था कर सकें."  
 
दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके में भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भूमि एवं विकास कार्यालय ने झुग्गियों पर बुलडोजर चलवायी. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहे हैं.
 
विभाग ने झुग्गीवासियों को पहले नोटिस दिया था और लोगों से कहा गया था कि वह 20 नवंबर तक अपनी अतिक्रमित जगह को खाली कर दें.
 
एक अन्य निवासी चांद अब्बासी, जो पिछले 25 वर्षों से वहां रह रहे हैं, ने पीटीआई को बताया कि उनके पास अब जाने के लिए कोई जगह नहीं है.
 
अब्बासी ने कहा, "हम पिछले 25 सालों से यहां रह रहे थे. हम चिंतित हैं क्योंकि हमारे बच्चों की परीक्षाएं हैं और उनका भविष्य दांव पर है. हमारे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है और न ही उन्होंने हमें कोई आश्रय दिया है."
 
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य निवासी मोईन ने कहा कि उसने मंगलवार को अपनी नौकरी खो दी.
 
जब मुझे विध्वंस के बारे में पता चला तो मैं अपने काम के लिए गया था. मैं अपने कार्यालय में किसी को बताए बिना घर आ गया और उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया है. 
 
हम अधिकारियों से बस यही चाहते थे कि इस विध्वंस को अंजाम देने से पहले उन्हें हमें समय देना चाहिए था.'' 
 
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, निवासियों ने दावा किया कि 10 से अधिक झोपड़ियां ध्वस्त कर दी गईं.
 
जिस इलाके में झुग्गियों के खिलाफ कार्रवाई की गई उस तरफ जाने वाली सड़क को प्रशासन ने बंद कर दिया और भारी पुलिस बल की तैनाती में पूरी कार्रवाई की गई.
 
हजरत निजामुद्दीन इलाके में झुग्गियों पर भूमि एवं विकास कार्यालय ने कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलाया. झुग्गीवासियों को 1 हफ्ते पहले ही जगह खाली करने का नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई.
 
अली ने कहा कि अब हम लोग कहां जाएं? हमारे बच्चे हैं. पास के स्कूल में पढ़ते हैं. उनकी पढ़ाई में दिक्कत होगी. दूसरे झुग्गी निवासी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि मैं इतना बड़ा हो गया, यहीं पर मेरा जन्म हुआ.
 
हम लोग 50 सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है. हमारे सारे दस्तावेज यहां बने हुए हैं. हमारे पास वोटर कार्ड है. हमें यहां का वासी नहीं माना जा रहा है और हमें यहां से हटाया जा रहा है. 
 
हमको हमारे झुग्गियों के बदले घर मिलना चाहिए और फिर हमें यहां से हटाया जाना चाहिए, लेकिन हमें मौका नहीं दिया जा रहा है और हमारे झुग्गियों को तोड़ा जा रहा है.