नई दिल्ली
पाकिस्तान हाई कमीशन ने बुधवार को जानकारी दी कि उसने भारत से 2,100 से अधिक सिख श्रद्धालुओं को गुरु नानक देव जी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले समारोहों में शामिल होने के लिए वीज़ा जारी किए हैं।
हाई कमीशन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा,
“नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन ने भारत के सिख श्रद्धालुओं को बाबा गुरु नानक देव जी के जन्म उत्सव में भाग लेने के लिए 2,100 से अधिक वीज़ा जारी किए हैं। यह आयोजन 4 से 13 नवंबर 2025 तक पाकिस्तान में होगा।”
इससे पहले, 3 अक्टूबर को दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने केंद्र सरकार के उस निर्णय का स्वागत किया था, जिसके तहत सिख जत्थों को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान जाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कठिन भारत-पाक रिश्तों के बावजूद श्रद्धा और आस्था का सिलसिला बनाए रखना एक सराहनीय कदम है।
अपने एक वीडियो संदेश में सिरसा ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC), दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (DSGMC) और अन्य संबंधित संस्थाओं से अपील की कि वे यात्रा से जुड़ी सभी औपचारिकताएं जल्द पूरी करें। उन्होंने कहा,
“हर साल की तरह इस बार भी सिख जत्थे गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस पर पाकिस्तान जाएंगे। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में स्पष्ट अनुमति दी है। सभी प्रतिनिधि संगठनों से निवेदन है कि वे प्रक्रिया शीघ्र पूरी करें।”
सिरसा ने आगे कहा कि वे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने 2019 में कठिन परिस्थितियों के बावजूद करतारपुर कॉरिडोर को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खोला था। उन्होंने कहा कि इस बार भी सरकार ने उसी भावना के साथ सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान जाने की अनुमति देकर धर्म और आस्था के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1974 के द्विपक्षीय समझौते के तहत सिख श्रद्धालुओं को विशेष अवसरों—जैसे प्रकाश पर्व, बैसाखी और गुरु अर्जन देव जी के शहीदी दिवस—पर पाकिस्तान स्थित धार्मिक स्थलों की यात्रा की अनुमति दी जाती है।
हाल के वर्षों में 2019 में शुरू हुआ करतारपुर कॉरिडोर श्रद्धालुओं को बिना वीज़ा के पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, पारंपरिक “जत्थों” की यात्रा अब भी 1974 के समझौते के अंतर्गत नियमित रूप से जारी रहती है।
दोनों देशों की सरकारें इस वर्ष की यात्रा को लेकर सुरक्षा और लॉजिस्टिक व्यवस्थाओं पर करीबी समन्वय कर रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं की आवाजाही सुचारू और सुरक्षित बनी रहे।