सहारनपुर: अफजल अहमद ने किया सत्संग

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 16-03-2023
अफजल अहमद ने किया सत्संग, पांच लाख संगत ने किए बाबा के दर्शन
अफजल अहमद ने किया सत्संग, पांच लाख संगत ने किए बाबा के दर्शन

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

सहारनपुर के नकुड़ में पिलखनी स्थित राधास्वामी सत्संग ब्यास के मेजर सेंटर पर आयोजित दो दिवसीय सत्संग के पहले दिन ही संगत का सैलाब उमड़ पड़ा. पहले दिन करीब पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे.

पाठी अफजल अहमद ने सर्वप्रथम सभी धर्मो के पवित्र ग्रंथों में लिखे परमात्मा से मिलने के माध्यम विस्तार व्याख्या की. दसवें द्वार के बारे में विस्तार से बताया. पाठी अफजल अहमद ने तुलसीदास की वाणी पर सत्संग करते हुए कहा कि प्रभु ने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी के मिलने का रास्ता एक ही रखा है.

अफजल अहमद ने कहा की अब्दुल्ला उमर ने अल्लाह से सवाल किया कि खुदा कहां है तो उन्होंने फरमाया कि अल्लाह तो हर दिल में है. परमात्मा अंधेरे पर्दे के पीछे हैं, वह दिल कहां है दिल दो प्रकार के हैं एक दिल बाई तरफ पसलियों के पीछे है चीर के आकार का दिल, दूसरा हकीकी दिल कल्बे निलोफर ऐसा दिल जो कमल के फूल की तरह है. इसके अंदर नूर भरा है.

उन्होंने गीता के 18वें अध्याय का उदाहरण देते हुए कहा कि श्री कृष्ण भगवान कहते हैं कि वह परमात्मा सभी जीवों में रहता है. हम मालिक को छोड़कर माया के चक्कर में फंस गए हैं. इस माया जाल से कैसे निकलना है. बताया गया है हमारे शरीर के अंदर सिर्फ परमात्मा नहीं बल्कि 14 लोक सूक्ष्म रूप में मौजूद है सात चक्कर लतीफे हैं.

मालिक को पाने में ध्यान का है बड़ा महत्व

अफजल अहमद ने कहा कि सिमरन करेंगे तो दसवां दरवाजा खुल जाएगा. ध्यान का बड़ा महत्व है हम जिक्र तो करते हैं पर ध्यान अंदर नहीं होता इसलिए दरवाजा नहीं खुलता हमें यह सोचकर सिमरन करना है मैं मालिक के दरबार के बाहर बैठा हूं जब दरवाजा खुलेगा तो मुझे मालिक के सच्चे दर्शन हो जाएंगे.

परमात्मा मिलना मुश्किल नहीं है उसको देखना इसलिए मुश्किल है कि हमारी आंखें तो आगे की ओर देखती है. पीछे नहीं देखती जब हम अपनी आंखें बंद कर उस मालिक की बंदगी करेंगे. तो मालिक के दर्शन हो जाएंगे.

इसका ज्ञान हमें पूर्ण गुरु से होगा, पूर्ण गुरु ही हमें रब से मिल वाते हैं. इंसान रब को पाने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है. रब के पास जाने का सबसे आसान तरीका भजन, सिमरन और ध्यान है. कुरान करीम में भी जिक्र आया है.

मैं तो शरीर में हूं तेरे अंदर ही हूं तू मुझे जंगलों, पहाड़ों, पत्थरों, सरोवर में क्यों ढूंढता है. ना मैं तीर्थों पर जाने वाले को मिला हूं. ना ही मक्का जाने वाले को. अमरदास फरमाते हैं कि परमात्मा तो शरीर के अंदर ही रहता है. नादान इंसान इस बात को नहीं समझते इसीलिए वह खुदा की तलाश में बाहर भटकते रहते हैं. यदि रब से मिलना चाहते हो. तो बाहर भटकने की नहीं अपने अंदर ही प्रभु को तलाश करो. यह शरीर ही रब की सच्ची बारगाह है. अपने अंदर ही रब को झांक कर देखो हमारी आत्मा ही परमात्मा के अंश है.

पांच लाख संगत ने किए बाबा के दर्शन

दो दिवसीय सत्संग कार्यक्रम के पहले दिन ही चार लाख लोगों के बैठने की व्यवस्था वाला सत्संग का पंडाल भरा था. कही भी बैठने की जगह नहीं बची थी. बल्कि लाखों श्रद्धालुओं को पंडाल से बाहर बैठकर सत्संग सुनना पड़ा.

करीब पांच लाख संगत में बाबा के दर्शन किए. सबसे खास बात यह थी कि करीब दो घंटे तक चले कार्यक्रम में पूरा सत्संग पंडाल पिन ड्रॉप साइलेंट रहा. श्रद्धालुओं ने लंगर भोजन भी ग्रहण किया. एक साथ लंगर भोजन खाने उमड़े जनसैलाब से लंगर घर फुल हो गए.

हालांकि पहले से लंगर खिलाने की तैयारी में जुटे हजारों सेवादारों ने लाखों की संख्या में पहुंची संगत को कुछ ही समय में लंगर खिला दिया. डेरे के अंदर बाहर व्यवस्था रही देखने लायक पिलखनी स्थित राधास्वामी सत्संग ब्यास के मेजर सेंटर पर सत्संग पंडाल में बैठने की सर्वोत्तम व्यवस्था, पेयजल, लंगर भोजन, अलावा पार्किंग की व्यापक स्तर पर व्यवस्था की गई थी. गर्मी के चलते जगह जगह पेयजल के लिए सैंकड़ों पानी की छ्बीले लगाई गई.

सत्संग स्थल से लेकर चारों ओर दस किलोमीटर दूर तक यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करने में जुटे हजारों सेवादारों का अनुशासन और सेवा भावना देखने लायक थी.