नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) में रह रहे इस्लामिक उपदेशक मौलाना शम्सुल हुदा खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) द्वारा दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) के आधार पर की गई है। ईडी ने यह जांच धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू की है।
उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, मौलाना शम्सुल हुदा खान की नियुक्ति वर्ष 1984 में एक सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे में सहायक शिक्षक के रूप में हुई थी। हालांकि, वर्ष 2013 में उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली थी। आरोप है कि इसके बावजूद उन्होंने 2013 से 2017 के बीच भारत में शिक्षक के रूप में वेतन प्राप्त करना जारी रखा, जबकि वह न तो भारतीय नागरिक थे और न ही इस अवधि में शिक्षण कार्य कर रहे थे। उस समय वे विदेश में निवास कर रहे थे।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, पिछले दो दशकों में खान ने कई विदेशी देशों की यात्रा की और इस दौरान भारत में संचालित 7 से 8 बैंक खातों के माध्यम से उन्हें कई करोड़ रुपये की संदिग्ध फंडिंग प्राप्त हुई। अधिकारियों का कहना है कि इन खातों में बड़ी मात्रा में धन जमा किया गया, जिसकी वैधता की जांच की जा रही है।
इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि खान ने देश में एक दर्जन से अधिक अचल संपत्तियां खरीदीं, जिनकी अनुमानित कीमत 30 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। एजेंसियों का आरोप है कि वह धार्मिक शिक्षा की आड़ में अवैध फंडिंग और कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने में संलिप्त रहे हैं।
आजमगढ़ के मूल निवासी मौलाना शम्सुल हुदा खान पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपनी एनजीओ ‘राजा फाउंडेशन’ और निजी बैंक खातों के जरिए विभिन्न मदरसों को धन मुहैया कराया। उन्होंने आजमगढ़ और संत कबीर नगर में दो मदरसों की स्थापना की थी, जिनका पंजीकरण बाद में संबंधित प्राधिकरणों द्वारा रद्द कर दिया गया।
जांच एजेंसियों ने यह भी बताया कि यूके स्थित कुछ कट्टरपंथी संगठनों से खान के कथित संबंधों की भी गहन जांच की जा रही है। ईडी और अन्य एजेंसियां अब उनकी संपत्तियों, बैंक लेनदेन और अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की विस्तृत पड़ताल कर रही हैं।






.png)