WHO: नए वैरिएंट का नाम रखा गया- अल्फा, बीटा, गामा

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 01-06-2021
WHO: भारत के नए वैरिएंट का नाम रखा गया-  अल्फा, बीटा, गामा
WHO: भारत के नए वैरिएंट का नाम रखा गया- अल्फा, बीटा, गामा

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने भारत में मिलने वाले कोविड 19 के नए वैरिएंट का नामकरण कर दिया. इस नए वैरिएंट का नाम ग्रीक अल्फाबेट पर रखा गया है-अल्फा, बीटा, गाम. कुछ दिनों पहले देश की एक सियासी पार्टी के कुछ नेेताओं ने नए वैरिएंट का नाम ‘इंडियन वाॅयरस’ बताकर राजनीतिक बवंडर खड़ा करने की कोशिश की थी.
 
पाकिस्तान ने इस सियासी विरोध का फायदा उठाते हुए उसके सिंध प्रांत मंे मिलने वाले कोविड के नए वायरस को ‘इंडियान वाॅयरस’ की संज्ञा दे दी है. मगर डब्ल्यूएचओ के नए वैरिएंट के नामकरण के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब न केवल केंद्र पर सियासी हमले कम होंगे, नए वैरिएंट को लेकर तमाम तरह की गलत फहमियां भी दूर हो जाएंगी.
 
डब्ल्यूएचओ ने नए वैरिएंट के नाम करण से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि कैसे नए वैरिएंट का नाम रखा गया और ग्रीक अल्फाबेट पर नामकरण के पीछे उद्देश्य क्या है.
 
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है,‘‘ एसएआरएस- सीओवी- 2 सहित सभी तरह के वायरस समय के साथ बदलते हैं. अधिकांश परिवर्तनों का वायरस के गुणों पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता.’’ 
 
हालांकि, कुछ परिवर्तन वायरस के गुणों को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि यह कितनी आसानी से फैलता है, संबंधित रोग की गंभीरता या टीकों का प्रदर्शन, चिकित्सीय दवाएं, नैदानिक ​​उपकरण अथवा अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपाय.
 
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन- साझेदारों, विशेषज्ञ नेटवर्कों, राष्ट्रीय प्राधिकरणों, संस्थानों और शोधकर्ताओं के सहयोग से जनवरी 2020 से एसएआरएस- सीओवी- 2 के विकास की निगरानी और मूल्यांकन कर रहा है. 2020 के अंत में वैरिएंट के उद्भव ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ा जोखिम पैदा किया.
 
वैश्विक निगरानी और अनुसंधान को प्राथमिकता देने के लिए, और अंततः कोविड-19 महामारी के लिए चल रही प्रतिक्रियाओं को सूचितबद्ध करने के लिए विशिष्ट वैरिएंट (वीओआईएस) और चिंता के वैरिएंट (वीओसीएस) के लक्षण रिकार्ड किए गए हैं.
 
डब्ल्यूएचओ और इसके विशेषज्ञों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क वायरस में बदलाव की निगरानी कर रहा है ताकि यदि महत्वपूर्ण उत्परिवर्तन की पहचान की जाती है, तो सभी देशों और जनता को वायरस के बदलाव के बारे में सूचित किया जा सके. यह इसके प्रसार को रोकने के लिए बहुत आवश्यक है.
 
वैश्विक स्तर पर, संभावित वीओआई या वीओसी के ‘‘संकेतों‘‘ का पता लगाने और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न जोखिम के आधार पर इनका आकलन करने के लिए सिस्टम स्थापित किए गए हैं. उन्हें मजबूत किया जा रहा है. 
 
रिपोर्ट कहती है, डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित वर्तमान रणनीतियां और उपाय महामारी की शुरुआत के बाद से पहचाने गए वायरस के प्रकारों के खिलाफ काम करना जारी रखे हुए है.
 

नामकरण  एसएआरएस- सीओवी- 2 वैरिएंट


डब्ल्यूएचओ का कहना है कि  नेक्स्टस्ट्रेन और पैंगो द्वारा एसएआरएस- सीओवी- 2 आनुवंशिक वंशों के नामकरण और ट्रैकिंग के लिए स्थापित नामकरण प्रणालियां वर्तमान में हैं. नामकरण के लिए उसी प्रणाली की मदद ली गई. वैज्ञानिकों द्वारा और वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए नामकरण किया गया.
 
सार्वजनिक चर्चाओं से भी वैरिएंट के नामकरण में मदद मिली. इसके अलावा वायरस इवोल्यूशन वर्किंग ग्रुप, प्रयोगशाला नेटवर्क के वैज्ञानिकों के समूह, नेक्स्टस्ट्रेन, पैंगो के प्रतिनिधियों और  वायरोलॉजिकल, माइक्रोबियल विशेषज्ञों, विभिन्न देशों और एजेंसियों की भी इसमें समायता ली गई.
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उच्चारण में आसान हो इसके लिए परामर्श के बाद विशेषज्ञ समूहों ने डब्ल्यूएचओ से ग्रीक वर्णमाला यानी अल्फा, बीटा, गामा के अक्षरों के नाम पर नए वैरिएंट का नाम रखन की सिफारिश की, ताकि  गैर-वैज्ञानिकों के लिए भी इस के नाम को लेकर चर्चा करने में दिक्कत न आए.