सन्देश तिवारी / लखनऊ
शाहरुक खान ने फिल्म जीरो में एक बौने का लीड रोल कर ग्रैंड एंट्री लेते हुए इंटरनेट पर खूब धूम मचाई थी. फिल्म ‘जीरो’ के टीजर में शाहरुख काफी फनी अंदाज में डांस करते हुए नजर आ रहे थे. शाहरुख के जीरो यानी बौने रोल को करोड़ों लोगों ने सराहा था और बौने होने को पर्दे पर देखा था. वहीं, बचपन में आपने गुलीवर के सफर वाली कहानियां तो जरूर पढ़ी होंगी. जब गुलीवर लिलिपुट नाम के एक द्वीप पर पहुंच गया था. वहां 15 सेंटंबाई वाले लोगों से उसका सामना हुआ था.बचपन में ये बात हैरान करने लगती थी कि बौने कैसे होंगे. मन में ये सवाल उठता था कि इतने छोटे-छोटे इंसान होते भी हैं या फिर कहानियों में ही इनका जिक्र मिलता है. आपका सवाल एकदम जायज है, क्योंकि इतने छोटे इंसान तो होते ही नहीं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सच से रूबरू कराएंगे, जिसके बाद बौनों को लेकर आपकी सोच एकदम बदल जाएगी. जी हां, यूपी के जिला अमेठी के जामो पांडेय पुरवा के रमजान अली की हाइट सिर्फ 24 इंच है. आज 24 साल की उम्र में 24 इंच के कद के रमजान अली की जिंदगी जीरो के शाहरुख और गुलीवर लिलिपुट से कम नहीं है. इन्हें भी अपनी जिंदगी में कई मुसीबतें और फायदों का सामना करना पड़ रहा है. आप भी जानें रमजान अली की जिंदगी.
अक्सर बौने लोगों का मजाक उड़ाया जाता है. अपने कद के चलते उनके प्रति रवैया सामान्य नहीं रहता. बौनापन जिंदगी में भी मुश्किलें पैदा करता हैं. रमजान अली को भी गांव और बाहर आने-जाने पर लोग हंसी-मजाक के रूप में लेते है. रमजान की जिंदगी को देखकर लोगों को जीरो का शाहरुख खान नहीं, लेकिन सर्कस का जोकर ज्यादा नजर आता है. अली के मुताबिक, उनके बौने कद के चलते लोग उनकी अच्छी बातों को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं. रमजान अली की दोस्त इम्तियाज के मुताबिक रमजान दिमाग से बहुत मजबूत है.
रमजान अली बताते हैं कि उन्हें अलग से कपड़ा बनवाकर पहनना होता है. उनका सब कुछ बच्चों जैसा होता है, लेकिन बच्चों का नहीं. उनके कपड़े, जूते नजदीक के ट्रेलर और मोची बनाते हैं. उन्हें अधिक पैसे देने पड़ते हैं. कई बार तो उन्हें अपनी पसंद और नापसंद पर गुस्सा आता है. चूकि उनका पहनावा लोगों के लिए मजाकिया होता है. रमजान के मुताबिक उसके लिए सब कुछ सपने जैसा है. हकीकत में घर में लकड़ी के दरवाजे हों और एक ही तरफ खिड़कियां हांे. ये घर बहुत बड़े नहीं होंगे. घर में एक बड़ा कमरा हो. लेकिन हकीकत में इसी कमरे में सोने के लिए थोड़ी सी जगह मेरे लिए होती है. ये सब बड़ा अजीब है न. रमजान के मुताबिक ईद और मुस्लिम त्योहारों पर भी उन्हें अपनी पसंद का अलग काम करवाना होता है.
रमजान को बचपन और अभी तक की 24 साल की जिंदगी में खास बदलाव नजर दिखाई नहीं देता. माता-पिता ने उन्हें सब कुछ खिलाया पिलाया. आज भी बहुत कुछ करते हैं. लेकिन आधी उम्र बीतने के बाद उनकी सरकार से मांग है कि उन्हें नहीं, तो उनके माता-पिता की परेशानियों को ध्यान में रखकर उनकी मदद की जाए.अभी तक उकने माता-पिता ने खेती किसानी करके मुझे पाला है. यकीनन अभी भी मैं उनके लिए बच्चा हूं.
रमजानअली की उम्र 24 की है और कद भी 24 इंच है. उम्र के लिहाज से उन्हें अब तक संसार के कई महत्वपूर्ण कार्य करने चाहिए थे. इनमें से शादी एक है. रमजान अली के पिता नदीम के मुताबिक रमजान की शादी के लिए काफी प्रयासरत हैं, लेकिन उन्हें उनके कद जैसी लड़की मुसलमानों में नहीं मिल रही है. उनकी कोशिश जारी है और जल्द रमजान का निकाह करवाएंगे. रमजान अली की पढ़ाई के बारे में बताया कि उन्हें स्कूल भेजने में डर समाया रहा. प्राइमरी स्कूल में मामूली शिक्षा हासिल की, फिर घर में ही अभी तक का सफर रहा. लेकिन रमजान अपनी व्यवहार कुशलता से सभी के प्रिय हैं.
श्रमजान अली के दोस्तों के मुताबिक, रमजान अपने नाम की तरह ही अल्ला की बंदगी में भी खूब आगे हैं. वे नामज अदा करना नहीं भूलते हैं. वहीं शाहरुख खान रमजान के पसंदीदा कलाकार हैं. बतातें है कि उन्होंने शाहरुख की जीरो कई बार देखी है और उनकी जिंदगी भी कई मायने में उसी से प्रभावित है.
बौनापन भी अब लाइलाज नहीं रहा. ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन लगाकर इसका ट्रीटमेंट संभव है...
जब लंबाई 147 सेमी. से कम हो, तो उसे बौना व्यक्ति कहा जाता है. लेकिन हर बौने व्यक्ति के शरीर के लक्षण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं. बौने व्यक्ति के शरीर के सभी भागों की लंबाई, असंगत (डिस्प्रपोशनेट) होती है, हाथ लंबे होते हैं, पैर छोटे होते, पैर बड़े हो तो हाथ छोटे होते हैं. पेट व छाती की बनावट भिन्न होती है. इस तरह की बनावट में शरीर के अंगों में सामंजस्यता नहीं पाई जाती है. संगत (प्रपोशनेट) बौनापन में शरीर के सभी अंग सामान्य से छोटे होते हैं.
शरीर के अंगों की लंबाई व बनावट के आधार पर इनका वर्गीकरण निम्न वर्गों में किया गया हैः
1. रोजोमेलिक - इस तरह के बौने व्यक्तियों में बाजू और जांघ बहुत छोटे होते हैं. बाकी शरीर सामान्य होता है.
2. मिजोमेलिक - इनमें बाजू के अग्र भाग और पैरों की लम्बाई सामान्य से बहुत कम होती है. बाकी शरीर सामान्य होता है.
3. एक्रोमेलिक - जब पैर व हाथ दोनों ही बहुत ज्यादा छोटे होते हैं, बाकि शरीर की लम्बाई सामान्य होती है.
4. माइक्रोमेलिक - जब हाथ व पैरों की लम्बाई सामान्य से बहुत कम होती है.
शरीर से जुड़ी 300 तरह की बीमारियों में से कोई एक बौनेपन का कारण होती है, लेकिन इससे ग्रसित 70 प्रतिशत व्यक्तियों में बौनेपन की वजह पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित ग्रोथ हार्मोन का न बनना होता है. दूसरा मुख्य कारण जिसे एकोण्ड्रोप्लेजिया कहते हैं. इसमें शरीर के जोड़ों में असमानता व लचीलापन होता है. यह समस्या आनुवांशिक होती है. इसमें एफजीएफआर-3 नामक जीन में बदलाव से हड्डियों की वृद्धि नहीं होने के कारण बौनापन हो जाता है.
बौनेपन की पहचान बाल्यावस्था में बच्चे के विकास की गति और लक्षणों से की जा सकती है. जब बच्चे की लम्बाई उम्र के अनुसार न होकर बहुत ही धीमी गति से हो तो यह भी बौनेपन का एक लक्षण हो सकता है.
वर्तमान में विभिन्न जांचों में मुख्य रूप से खून में ग्रोथ हार्मोन के स्तर की जांच प्रारंभिक अवस्था में करने पर यह तय किया जा सकता है कि कहीं इसकी कमी के कारण बच्चा भविष्य में बौनेपन का शिकार तो नहीं हो जाएगा? यदि रक्त में इसका स्तर सामान्य पाया जाए और यदि बच्चे में वंशानुगत जांच एफजीएफआर-3 जीन में त्रुटि पाई जाए, तो बाल्यावस्था में ही बौनेपन की बीमारी को पहचाना जा सकता है. बच्चे के शरीर के सभी जोड़ों के एक्स-रे व एमआरआई से प्रारम्भिक अवस्था में ही बौनेपन की पहचान की जा सकती है. यदि बच्चे की लम्बाई कम है और जांच में कोई बीमारी न मिले तो उसे बौनापन नहीं कहकर छोटे कद का व्यक्ति कहा जाता है, जो एक सामान्य व्यक्ति की तरह जिंदगी जीता है.
एक साल की उम्र तक बच्चे का उचित विकास न हों, तो माता-पिता को एंडोक्रायोनोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन से संपर्क करें. विशेषज्ञ बच्चे को तीन साल तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद बौनेपन के बारे में निर्णय लेते हैं. 5-7 साल की उम्र में ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन लगाए जाते हैं. हर तीन माह में रक्त जांच करके हार्मोंस वृद्धि का पता लगाया जाता है. यदि नतीजे पॉजिटिव होते हैं, तो दोबारा इंजेक्शन लगाया जाता है. यह प्रक्रिया 13-15 साल की उम्र तक चलती है. रक्त में ग्रोथ हार्मोन की सामान्य मात्रा औसतन 4-17 माइक्रोमिलिलीटर होनी चाहिए.यदि इस हार्मोन की कमी होती है, तो विशेषज्ञ की देखरेख में समय-समय पर ग्रोथ हार्मोन के इंजेक्शन देकर खून में इसके स्तर को सामान्य रखने का प्रयास किया जाता है.