आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई स्मार्ट जेल विकसित की है जो शरीर के भीतर होने वाले छोटे-छोटे रासायनिक बदलावों को महसूस कर सकती है और ज़रूरत पड़ने पर सही समय और स्थान पर दवा छोड़ सकती है। इस अभिनव तकनीक से आर्थराइटिस जैसी दर्दनाक बीमारियों के उपचार में क्रांति आ सकती है.
यह जेल न सिर्फ़ कार्टिलेज (जोड़ों की गद्दीनुमा परत) जैसी संरचना को मिमिक (अनुकरण) करती है, बल्कि दवा को भी उसी स्थान पर पहुँचाती है जहां इसकी सबसे अधिक ज़रूरत होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे दवाओं के दुष्प्रभाव कम होंगे, दर्द से राहत मिलेगी और मरीजों को बार-बार दवा लेने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी.
कैम्ब्रिज के यूसुफ़ हमीद डिपार्टमेंट ऑफ़ केमिस्ट्री के प्रोफेसर ओरन शेरमैन के नेतृत्व में बनी टीम ने इस जेल को तैयार किया है. प्रोफेसर शेरमैन, जो सुप्रामॉलिक्यूलर और पॉलिमर केमिस्ट्री के विशेषज्ञ हैं, कहते हैं, “हम लंबे समय से ऐसे मटेरियल पर काम कर रहे थे जो जोड़ों में इस्तेमाल किए जा सकें। लेकिन targeted drug delivery (लक्षित दवा आपूर्ति) के साथ इसे जोड़ना बेहद रोमांचक है.
इस जेल की खासियत है कि यह आर्थराइटिस के flare-up के दौरान होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया — यानी जोड़ में सूजन के कारण बढ़ी हुई अम्लीयता — को पहचान सकती है। जैसे ही pH (अम्लीयता) बढ़ती है, यह सामग्री और भी नरम हो जाती है और अपने भीतर मौजूद दवा को रिलीज़ कर देती है.
पहले लेखक डॉ. स्टीफन ओ’नील के अनुसार, “ये सामग्री शरीर में गड़बड़ी को ‘सेंस’ करके उसी जगह इलाज पहुंचाती हैं। इससे बार-बार दवा देने की ज़रूरत कम हो सकती है और मरीजों की ज़िंदगी की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है.
टीम ने प्रयोगशाला परीक्षण में इस सामग्री को फ्लोरोसेंट डाई (रंग) से भरा, ताकि यह देखा जा सके कि दवा कैसे रिलीज़ होती है। नतीजों में पाया गया कि आर्थराइटिस-जैसी अम्लीय स्थिति में यह जेल सामान्य pH की तुलना में कहीं ज़्यादा दवा छोड़ती है.