First integrated suite in India for complete cognitive health and Alzheimer's diagnosis
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अल्ज़ाइमर a प्रगतिशील न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग, दुनिया भर में 5.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित कर रहा है, और अनुमान है कि 2050 तक इसके मामले तीन गुना हो जाएंगे। भारत में ही लगभग 88 लाख लोग डिमेंशिया के साथ जी रहे हैं और यह बोझ तेजी से बढ़ रहा है. सबसे बड़ी चुनौती है प्रारंभिक पहचान, क्योंकि अधिकांश रोगियों का निदान देर से होता है जब लक्षण पहले ही अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचा चुके होते हैं.
इसी चुनौती को देखते हुए वर्ल्ड अल्ज़ाइमर डे के अवसर पर डॉ. डैंग्स लैब ने “डेंड्राइट Dx” नामक एक समग्र प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया है, जो अल्ज़ाइमर के प्रारंभिक और गैर-इनवेसिव (बिना सुई-स्कैन) निदान के लिए तैयार किया गया है. इस इंटीग्रेटेड सूट में डिजिटल कॉग्निटिव असेसमेंट, एडवांस्ड ब्लड बायोमार्कर और स्वामित्व वाले LC-MS कंफर्मेटरी टेस्ट को मिलाकर दिमाग़ी स्वास्थ्य के परीक्षण को सुलभ, सटीक और किफ़ायती बनाने का दावा किया गया है.
डॉ. डैंग्स लैब के सीईओ डॉ. अर्जुन डैंग ने कहा, “मौजूदा डायग्नोस्टिक तरीके—सीएसएफ एनालिसिस या भारी-भरकम स्कैन महंगे, इनवेसिव और बड़े पैमाने पर अव्यवहार्य हैं. डेंड्राइट Dx के साथ हमने रोगी-केंद्रितता, सटीकता और उपलब्धता को नए सिरे से परिभाषित किया है. यह प्लेटफ़ॉर्म शुरुआती पहचान सुनिश्चित करता है ताकि मरीज़ और परिवार अपरिवर्तनीय गिरावट से पहले अपनी मानसिक सेहत पर नियंत्रण पा सकें.
यह इकोसिस्टम एक मान्यता प्राप्त (FDA-क्लियर, ISO 13485:2016, ISO 27001:2013) 15–20 मिनट का कॉग्निटिव टेस्ट देता है. परिणामों के आधार पर रोगी के ब्लड सैंपल में pTau-217, Amyloid Beta 1-42 और ApoE जीनोटाइपिंग जैसे एडवांस्ड बायोमार्कर टेस्ट किए जाते हैं. इसके बाद सी2एन डायग्नोस्टिक्स (यूएसए) के साथ मिलकर विशेष LC-MS टेस्ट किया जाता है.
इससे भारत पहली बार क्षेत्र में PrecivityAD2™ टेस्ट तक पहुंच रखने वाला देश बन गया है, जो Amyloid Probability Score 2 (APS2) प्रदान करता है और अल्ज़ाइमर से जुड़े मस्तिष्क परिवर्तनों की पुष्टि करता है.
C2N डायग्नोस्टिक्स के सीईओ डॉ. जोएल ब्राउनस्टीन ने कहा, “डेंड्राइट Dx की लॉन्चिंग भारत में अल्ज़ाइमर निदान को तेज़ी देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सीमित PET इंफ्रास्ट्रक्चर और बढ़ते रोग-भार को देखते हुए, स्वास्थ्य तंत्र को ऐसे इनोवेटिव रास्तों को अपनाना होगा. हम चिकित्सकों और रोगियों को जल्दी और अधिक सटीक निदान पाने में सहयोग देने के लिए उत्साहित हैं.”
डेंड्राइट Dx केवल अल्ज़ाइमर बायोमार्कर तक सीमित नहीं है. इसमें थायरॉयड, विटामिन स्तर, सूजन और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य जैसे व्यापक स्वास्थ्य संकेतकों की भी जांच की जाती है, जो स्मृति संबंधी लक्षणों की नकल या उन्हें बढ़ा सकते हैं. यह समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि मरीज़ों की जांच न केवल न्यूरोडीजेनेरेटिव परिवर्तनों के लिए हो, बल्कि उलट सकने योग्य कारणों, जैसे विटामिन की कमी, थायरॉयड विकार या मेटाबॉलिक असंतुलन के लिए भी हो.
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी इस पहल को महत्वपूर्ण बताया। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए की न्यूरोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर सुज़ैन शिंडलर ने कहा, “यह देखना अद्भुत है कि अल्ज़ाइमर निदान में प्रगति भारत तक पहुंच रही है. नए डिजिटल कॉग्निटिव टेस्ट और ब्लड टेस्ट अल्ज़ाइमर की पहले और अधिक सटीक पहचान संभव बना रहे हैं. मरीज़, परिवार और चिकित्सक आभारी होंगे कि उन्हें समय रहते सही कारण पता चले ताकि वे सही योजना बना सकें.”
शुरुआती निदान न केवल बेहतर परिणाम देता है बल्कि नए उपचारों तक पहुंच और निर्णय लेने में परिवारों को मदद करता है. यह उभरती हुई बीमारियों को संशोधित करने वाली थेरेपी में भागीदारी का रास्ता भी खोलता है, जिनमें से कुछ को वैश्विक स्तर पर एफडीए की मंज़ूरी मिल चुकी है. यह चिकित्सकों को पहले ही हस्तक्षेप करने और रोगी परिणामों को बदलने वाली उपचार पद्धतियों का रास्ता दिखाता है.