आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
इंजीनियरों ने पहली बार सिलिकॉन चिप्स के भीतर परमाणु नाभिकों को एक-दूसरे से “बात” कराना संभव कर दिखाया है. यह खोज स्केलेबल (विस्तार योग्य) क्वांटम कंप्यूटर्स के निर्माण के रास्ते को साफ करती है.
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू) के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनों की मदद से परमाणु नाभिकों को जोड़कर उनका आपसी संवाद स्थापित किया। इससे वे आधुनिक कंप्यूटर चिप्स के पैमाने पर ही ‘क्वांटम एंटैंगल्ड स्टेट्स’ (जहाँ दो अलग कण इतने गहराई से जुड़े रहते हैं कि स्वतंत्र रूप से व्यवहार नहीं करते) बनाने में सफल रहे। यही ‘एंटैंगलमेंट’ क्वांटम कंप्यूटर्स को पारंपरिक कंप्यूटर्स पर बढ़त देता है.
यह अध्ययन 18 सितंबर को ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित हुआ और इसे 21वीं सदी की सबसे रोमांचक वैज्ञानिक चुनौतियों में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है.
यूएनएसडब्ल्यू की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. हॉली स्टेम्प के मुताबिक, “हमने सबसे स्वच्छ और सबसे अलग-थलग क्वांटम ऑब्जेक्ट्स को उसी पैमाने पर एक-दूसरे से बात कराई जिस पर आज के सिलिकॉन डिवाइस बनाए जाते हैं.”
अब तक क्वांटम इंजीनियरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि वे कंप्यूटिंग एलिमेंट्स को बाहरी शोर और दखल से बचाते हुए एक-दूसरे से बातचीत भी करा सकें। यही वजह है कि क्वांटम कंप्यूटर हार्डवेयर के कई तरह के प्लेटफ़ॉर्म अभी भी रेस में हैं—कुछ तेज़ी से ऑपरेशन करते हैं मगर शोर से प्रभावित होते हैं, तो कुछ शोर से सुरक्षित हैं मगर संचालन और विस्तार में कठिन.
यूएनएसडब्ल्यू की टीम अब तक फॉस्फोरस परमाणुओं के नाभिकीय स्पिन का इस्तेमाल कर रही थी, जो ठोस अवस्था में सबसे “स्वच्छ” क्वांटम ऑब्जेक्ट माने जाते हैं। टीम ने पहले ही यह दिखा दिया था कि 30 सेकंड तक क्वांटम जानकारी सुरक्षित रखी जा सकती है और 1% से भी कम त्रुटियों के साथ क्वांटम लॉजिक ऑपरेशन किए जा सकते हैं। परंतु इसी स्वच्छता और अलगाव के कारण बड़े पैमाने पर कनेक्शन बनाना मुश्किल हो रहा था.
पहले तक कई नाभिकों को चलाने का एकमात्र तरीका यही था कि वे ठोस में एक-दूसरे के बहुत क़रीब हों और एक ही इलेक्ट्रॉन से घिरे हों। लेकिन इलेक्ट्रॉन की “फैलने” की क्षमता सीमित होती है और एक ही इलेक्ट्रॉन से ज़्यादा नाभिकों को जोड़ने पर हर नाभिक पर अलग से नियंत्रण कठिन हो जाता है.