गूगल मोनोपोली केस: अमेरिकी जज का बड़ा फैसला, सर्च इंजन पर नई पाबंदियाँ, क्रोम पर कोई असर नहीं

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 03-09-2025
Google Monopoly Case: Big decision by US judge, new restrictions on search engine, no impact on Chrome
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सैन फ्रांसिस्को

अमेरिकी संघीय न्यायाधीश अमित मेहता ने गूगल के सर्च इंजन पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए उसकी “गैरकानूनी मोनोपोली” को सीमित करने का प्रयास किया है। हालांकि, उन्होंने कंपनी को तोड़ने, क्रोम ब्राउज़र बेचने या डिफ़ॉल्ट सर्च डील्स खत्म करने से इनकार कर दिया।

226 पन्नों के इस फैसले का असर टेक्नोलॉजी जगत पर व्यापक रूप से पड़ेगा, खासकर ऐसे समय में जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित “जेनएआई” सेवाएँ गूगल के लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को चुनौती दे रही हैं।

मेहता ने गूगल को निर्देश दिया है कि वह अपने सर्च इंजन, जेमिनी एआई ऐप, प्ले स्टोर और वर्चुअल असिस्टेंट को किसी भी डिवाइस पर विशेषाधिकार दिलाने वाले अनुबंध न करे। हालांकि, उन्होंने गूगल के अरबों डॉलर के डिफ़ॉल्ट सर्च सौदों को जारी रखने की अनुमति दी, यह मानते हुए कि इन पर रोक उपभोक्ताओं और उद्योग के लिए अधिक हानिकारक साबित होगी।

फैसले के तहत गूगल को अपने प्रतिद्वंद्वियों—जैसे डकडकगो और बिंग—को सीमित स्तर पर सर्च इंडेक्स और क्वेरी डेटा तक पहुँच देनी होगी, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ सके।

न्याय विभाग ने इसे “अमेरिकी जनता के लिए बड़ी जीत” बताया, जबकि गूगल ने कहा कि यह निर्णय दिखाता है कि आज उद्योग में पहले से ही तीव्र प्रतिस्पर्धा मौजूद है।

निवेशकों ने भी फैसले को गूगल के लिए अपेक्षाकृत हल्का माना, जिसके चलते इसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयर आफ्टर-मार्केट ट्रेडिंग में लगभग 3% बढ़ गए।