आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने मोटर वाहन के टायर पर जीएसटी की दर को मौजूदा 28 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का सोमवार को आह्वान किया.
इसने सरकार से इसे विलासिता की वस्तुओं के समान नहीं मानने का अनुरोध किया। साथ ही परिवहन, कृषि, खनन एवं निर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर इसके लागत प्रभाव का हवाला दिया.
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में मोटर वाहन की सभी प्रमुख श्रेणियों पर 28 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है, जो उच्चतम कर स्लैब है। हालांकि ट्रैक्टर टायर और विमान टायर पर क्रमशः 18 प्रतिशत और पांच प्रतिशत कर लगता है.
इसने कहा कि परिवहन, कृषि, खनन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में जहां टायर परिचालन व्यय का एक महत्वपूर्ण घटक है. पांच प्रतिशत की कम जीएसटी दर छोटे व्यापारियों, किसानों और उद्यमों को सार्थक राहत प्रदान करेगी जो किफायती परिवहन पर निर्भर हैं.
एटीएमए के चेयरमैन अरुण मैमन ने कहा, ‘‘ समूचे भारत में लोगों और सामान की आवाजाही के लिए टायर अपरिहार्य हैं. कृषि, लॉजिस्टिक्स दक्षता और बुनियादी ढांचे जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को समर्थन देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए ...टायर को विलासिता की वस्तुओं के बराबर नहीं माना जाना चाहिए.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए एटीएमए ने कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि टायर सभी क्षेत्रों, ट्रक और बस, यात्री कार, दोपहिया एवं तिपहिया वाहन, ट्रैक्टर, निर्माण व खनन उपकरणों में परिवहन के लिए आवश्यक साधन हैं. इसलिए प्रस्तावित जीएसटी दर युक्तिकरण के तहत इन पर बहुत कम कराधान लगाया जाना चाहिए.
एटीएमए ने कहा कि उसने दरों में बदलाव लागू होने के बाद टायर डीलर के समक्ष अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के संभावित संचय के बारे में भी चिंता व्यक्त की है.
बयान में कहा गया कि कार्यशील पूंजी की रुकावट को कम करने के लिए यह सिफारिश की गई है कि संशोधित दरों की घोषणा जल्द से जल्द की जाए और जीएसटी युक्तिकरण से उत्पन्न अप्रयुक्त आईटीसी की एकमुश्त वापसी (रिफंड) की अनुमति दी जाए.