थिरुवनंतपुरम
वरिष्ठ फिल्मकार और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित अदूर गोपालकृष्णन ने हालिया राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि पिछले कुछ समय से घटिया और निम्न-स्तरीय फिल्मों को शीर्ष सम्मान दिया जा रहा है।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, “जब जूरी की गुणवत्ता खराब होगी, तो वह निश्चित रूप से गलत और खराब फिल्मों को पुरस्कार के लिए चुनेगी।”अदूर ने कहा कि अगर यही स्थिति बनी रहती है तो फिल्म क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार देने की पूरी व्यवस्था बंद कर देना ही बेहतर होगा।
उन्होंने कहा, “काफी समय से साल की सबसे कमजोर फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल रहे हैं। यह जांच की जानी चाहिए कि आखिर ऐसा हो कैसे रहा है।”वरिष्ठ फिल्मकार के अनुसार, राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण और सार्थक सिनेमा को प्रोत्साहित करना था, लेकिन अब यह उद्देश्य पूरी तरह उलटता दिखाई दे रहा है।
उन्होंने दावा किया कि जूरी की अक्षमता और गैर-पेशेवर दृष्टिकोण ही निम्न-स्तरीय फिल्मों के चयन का मुख्य कारण है।अदूर ने कहा कि यदि जूरी योग्य, अनुभवी और संवेदनशील फिल्म विशेषज्ञों की हो, तो सही फिल्मों को सम्मान मिल सकेगा और राष्ट्रीय पुरस्कारों की विश्वसनीयता भी बनी रहेगी।






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