इस्लामाबाद
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और उपमहाद्वीप में शहनाई कला के विश्वस्तरीय उस्ताद माने जाने वाले उस्ताद अब्दुल्ला खान का 72 वर्ष की आयु में कौसरी शहर में निधन हो गया। वह लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी और दमे से पीड़ित थे।
उस्ताद अब्दुल्ला खान ने कई दशकों तक शहनाई वादन में अपनी विशेष पहचान बनाए रखी। पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश सहित पूरे उपमहाद्वीप में उनके कला कौशल को असाधारण लोकप्रियता मिली।
विश्वप्रसिद्ध इस शहनाई वादक ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजनों में अपने संगीत का जादू बिखेरा। उनकी असाधारण प्रतिभा के सम्मान में 23 मार्च 2012 को उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार ‘तमगा-ए-हुस्न-ए-कारकर्दगी’ से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने सिंधी संगीत को नई दिशा देने और शहनाई कला के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान निभाया। अपने शास्त्रीय संगीत ज्ञान और वादन कौशल को उन्होंने नई पीढ़ी तक पहुँचाने की भी उल्लेखनीय कोशिश की और कई युवा कलाकारों को प्रशिक्षित किया।उस्ताद अब्दुल्ला खान के निधन पर कला और संस्कृति से जुड़े लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। संगीत जगत में उनके योगदान को उपमहाद्वीप में हमेशा याद किया जाएगा।
मृतक के परिवार में एक बेटा और उनकी पत्नी शोक-संतप्त हैं।