क्यों अप्रैल की एक तारीख को मनाते हैं मूर्ख दिवस, ये है कहानी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 01-04-2023
क्यों अप्रैल की एक तारीख को मनाते हैं मूर्ख दिवस, अप्रैल फूल डे की ये है कहानी
क्यों अप्रैल की एक तारीख को मनाते हैं मूर्ख दिवस, अप्रैल फूल डे की ये है कहानी

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

आज एक अप्रैल है (1st April). आज से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है और आज के दिन को कई लोग मूर्ख दिवस (April Fools Day) के रूप में भी सेलिब्रेट कर रहे हैं. मूर्ख दिवस को सेलिब्रेट करने के लिए लोग आपस में मजाक करते हैं और एक दूसरे को मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं. शायद, आप भी ऐसा करते हों या फिर बचपन में तो ऐसा करते ही होंगे. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि ऐसा अप्रैल महीने के पहले दिन ही क्यों होता है और मूर्ख दिवस (April Fool History) एक अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है.
 
ऐसे में आज हम आपको इसे अप्रैल की पहली तारीख को सेलिब्रेट करने की कहानी के बारे में बता रहे हैं, जिससे आपको इसके इतिहास के बारे में पता चल जाएगा. तो जानते हैं अप्रैल फूल बनाने की क्या कहानी है और हर साल इस दिन को क्यों सेलिब्रेट किया जाता है.
 
अप्रैल फूल की क्या है कहानी?
ये दिन क्यों सेलिब्रेट किया जाता और इसकी शुरुआत कब से हुई? इसकी एकदम सही जानकारी तो मिल पाना मुश्किल है. अभी भी इसके ऑरिजन के बारे में पता करना रहस्य है, लेकिन कई ऐसी कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत से जोड़ा जाता है. इन कहानियों से कहा जाता है कि इस वक्त से इस खास दिन की शुरुआत हुई. इसमें सबसे लोकप्रिय है साल 1582 की एक कहानी, जब फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था.
 
बता दें कि Pope Gregory XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को शुरू किया. इस कैलेंडर में जनवरी से साल की शुरुआत होती है और ये वो ही कैलेंडर है, जिसका हम इस्तेमाल करते हैं. जूलियन कैलेंडर में नए साल की शुरुआत 1 अप्रैल से होती थी, लेकिन जब पोप चार्ल्स 9 ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को शुरू किया, तो लोग उस बदलाव के बारे में जान नहीं पाए और हर साल की तरह 1 अप्रैल को ही नया साल मनाने लगे. ऐसे में उन लोगों का काफी मजाक बनाया गया और उन्हें अप्रैल फूल्स कहा गया. तभी से इस दिन की शुरुआत हुई.
 
एक कहानी साल 1381 की
अप्रैल फूल डे को लेकर इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय का एक मजेदार किस्सा प्रचलित है. बताया जाता है कि रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने ऐलान करते हुए कहा कि वे 32 मार्च 1381 के दिन सगाई करने वाले हैं. ये खबर सुनकर लोग बेहद खुश हुए. जश्न मनाया और इस दिन के लिए तमाम तैयारियां करने लगे. लेकिन जब 31 मार्च आया तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है, क्योंकि 32 मार्च तो कभी आएगा ही नहीं. तभी से 31 मार्च के अगले दिन यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाने लगा.