'Sholay' will be released again with an uncut version, many secrets are hidden in the climax
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारतीय सिनेमा की सबसे ऐतिहासिक और लोकप्रिय फिल्म 'शोले' को रिलीज़ हुए पचास साल पूरे होने जा रहे हैं. 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई इस ब्लॉकबस्टर फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी एक स्थायी स्थान बना लिया.
अब इस मील के पत्थर को सम्मान देने के लिए 'शोले' को फिर से रिलीज किया जा रहा है, लेकिन इस बार एक विशेष अंदाज़ में—उसका अनकट वर्जन दर्शकों के सामने पेश किया जाएगा. इस वर्जन में वो दृश्य भी शामिल किए गए हैं जो पहले सेंसर बोर्ड के निर्देशों पर या मेकर्स के निर्णय से फिल्म से हटा दिए गए थे. 'शोले' को रमेश सिप्पी ने निर्देशित किया था और यह फिल्म धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी थी. फिल्म की कहानी, संवाद, संगीत और हर किरदार आज भी दर्शकों के दिल में जिंदा हैं. यही वजह है कि जब इसके अनकट वर्जन के फिर से रिलीज़ होने की घोषणा हुई तो पूरे देश में उत्साह की लहर दौड़ गई.
27 जून को इस खास संस्करण का प्रीमियर इटली के बोलोन्या शहर में ‘इल सिनेमा रिट्रोवेटो फेस्टिवल’ में होगा, जहां दुनिया की महान क्लासिक फिल्मों की स्क्रीनिंग होती है. फिल्म की स्क्रीनिंग पियाज़ा मैगिओरे में की जाएगी, जो विशेष रूप से ऐसी फिल्मों को दिखाने के लिए मशहूर है. इस बार दर्शकों को 'शोले' का वह रूप देखने को मिलेगा, जैसा इसे मूल रूप से शूट किया गया था. खासकर वह दृश्य जिसमें ठाकुर गब्बर सिंह को मार देता है—जो मूल रिलीज़ में सेंसर कर दिया गया था—अब इस संस्करण में शामिल किया गया है.
फिल्म के फिर से रिलीज़ होने पर अमिताभ बच्चन ने खुशी जताते हुए कहा कि जब उन्होंने फिल्म की शूटिंग की थी, तब उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह फिल्म भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर बन जाएगी. उन्होंने याद करते हुए कहा कि फिल्म के शुरुआती दिनों में इसे असफल करार दिया गया था, लेकिन समय के साथ यह एक ऐतिहासिक सफलता बन गई. अमिताभ ने उम्मीद जताई कि आने वाली पीढ़ियां भी 'शोले' से जुड़ेंगी और इसे उसी लगाव से देखेंगी, जैसे पहले देखा गया था.
वहीं, धर्मेंद्र ने 'शोले' को दुनिया का आठवां अजूबा कहा. उन्होंने कहा कि इस फिल्म को आज भी दर्शकों ने दिल से लगाया हुआ है. उनके अनुसार, सलीम-जावेद के संवाद और रमेश सिप्पी का निर्देशन आज भी बेजोड़ है. धर्मेंद्र ने अपने पसंदीदा दृश्यों में टंकी वाला सीन, मंदिर वाला दृश्य और जय की मौत का दृश्य बताया, जो आज भी उन्हें भावुक कर देता है.
यह फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और सिप्पी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक संयुक्त प्रयास के तहत फिर से प्रस्तुत की जा रही है. उद्देश्य है कि दर्शकों को 'शोले' का वह अनुभव दिया जाए जो उन्हें पहली बार मिलना चाहिए था. अनकट वर्जन के ज़रिए दर्शक न केवल फिल्म के नए पहलुओं को देख पाएंगे, बल्कि उन्हें एक नई दृष्टि से उस दौर के सिनेमा को समझने का भी अवसर मिलेगा.
‘शोले’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की आत्मा है. उसके किरदार, संवाद, संगीत और भावनाएं हर पीढ़ी को जोड़ती हैं. इसके 50 साल पूरे होना केवल एक सालगिरह नहीं, बल्कि भारतीय सिने इतिहास का एक गौरवशाली पल है. अनकट संस्करण के ज़रिए ‘शोले’ एक बार फिर अपने उसी अद्वितीय और संपूर्ण रूप में दर्शकों के सामने आने को तैयार है, जिसे देखकर शायद फिर से एक इतिहास लिखा जाएगा.