कभी कश्मीर के रिफ्यूजी कैंप में रहने वाली शाइली कृष्णा बन गईं दक्षिण की उभरती अभिनेत्री

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-12-2023
अभिनेत्री शाइली कृष्ण
अभिनेत्री शाइली कृष्ण

 

जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता

किसी ने सोचा नहीं होगा कि कश्मीर के शरणार्थी शिविरों में पली-बढ़ी शाइली कृष्ण एक दिन दक्षिण भारत के सिल्वर स्क्रीन की उभरती अभिनेत्री होंगी! शाइली ने अपने खुद के भविष्य के बारे में भी ऐसा सोचा नहीं होगा, लेकिन आज की तारीख में यह सच है.

 

ज्यादातर निर्माताओं की नजर है शाइली पर

आज दक्षिण भारत के ज्यादातर फिल्म निर्माताओं की नजर है शाइली कृष्ण पर. ब्लू आंखों वाली शाइली आज दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री में एक जाना-पहचाना नाम बन गया है. वह एक्टिंग भी करती हैं और मॉडलिंग भी. शाइली कृष्ण की उम्र अभी 21चल रही है. वह जम्मू-कश्मीर के रिफ्यूजी कैंप में एक दिसंबर, 1998को पैदा हुई थीं. कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के कई रिफ्यूजी कैंप में उसके माता-पिता रहे. साथ में शाइली का बड़ा भाई भी था. शाइली की पैदाइश भी रिफ्यूजी कैंप में ही हुई. शाइली का बचपन बहुत कष्ट भरा था. जोखिम भरा भी - पता नहीं कब हमला हो जाए ! लेकिन, शाइली के भाई की तमन्ना थी एक दिन उसका परिवार जम्मू-कश्मीर के रिफ्यूजी कैंप से बाहर निकलेगा ही.

 

काम की तलाश में शाइली का भाई पहले रिफ्यूजी कैंप छोड़ा

शाइली के पिता और उसके भाई को जम्मू-कश्मीर का रिफ्यूजी कैंप एकदम से नापसंद था. कश्मीरी पंडित खानदान से ताल्लुक रखने वाले इस परिवार को लगता था यह कैंप नहीं, यातना शिविर है जहां आतंक के साये में सभी कश्मीरी पंडितों को जिंदगी गुजारनी पड़ती है. और एक दिन शाइली के भाई ने तय किया कि नौकरी की तलाश में इस रिफ्यूजी कैंप से उसे निकलना ही पड़ेगा.

शाइली कृष्णा

और एक दिन उसका भाई बंगलुरु पहुंच गया

किसी एक रोज उसका भाई जम्मू-कश्मीर के रिफ्यूजी कैंप से बाहर निकला यह कहकर कि बाजार से अभी वह लौट आएगा. लेकिन, भाई ने रिफ्यूजी कैंप में दोबारा नहीं लौटने का निश्चय कर रखा था. उसकी जेब में कुछ रुपए थे. वह किसी तरह नजदीक के स्टेशन पर पहुंचा और ट्रेन पकड़ ली. यह ट्रेन बंगलुरु को जा रही थी.

बंगलुरु पहुंच कर उसने नौकरी की तलाश शुरू की

बंगलुरु में उसके भाई के शुरुआती दिन बहुत कष्ट भरे थे, लेकिन अच्छे दिन लौटते देर भी नहीं लगे. दो-चार दिनों के बाद शाइली के भाई को छोटी-मोटी नौकरी मिल गई. महीने-दो-महीने बाद उसकी मेहनत को देखकर किसी ने स्थाई तौर पर अपने यहां रख लिया. उसके कष्ट भरे दिन जैसे फुर्र होने को आए. कुछ महीने बाद एक रोज उसके मां-बाप और छोटी बहन शाइली कृष्ण भी बंगलुरु पहुंच गई.

 

तब शाइली की उम्र महज 13 वर्ष थीं

एक रोज का वाकया है. अपनी छोटी बहन शाइली कृष्ण और मां-बाप को लेकर उसका भाई बंगलुरु के किसी सिनेमा हॉल पर पहुंचा सिनेमा देखने के लिए. दक्षिण भारतीय जुबान तो आती नहीं थी उस कश्मीरी पंडित परिवार को, लेकिन मन बहलाने के लिए कोई सिनेमा देखनी थी सो टिकट कटाया और हॉल के अंदर सब घुस गए. यह वर्ष 2011की बात है. 70एमएम स्क्रीन पर फिल्म देखना उस कश्मीरी पंडित परिवार का पहला तजुर्बा भी था !

Sayali krishna

उस रोज इस तरह बदली शाइली कृष्ण की किस्मत !

उस रोज बंगलुरु के सिनेमा हॉल से जब बिना ठीक-ठीक समझे फिल्म देखकर शाइली का पूरा परिवार बाहर निकल रहा था तभी मशहूर सिनेमेटोग्राफर संतोष सिवन की नजर शाइली कृष्ण पर पड़ी. नीली आंखों वाली उस खूबसूरत कश्मीरी युवती को संतोष सिवन कुछ पल तक एकटक देखता रहा. फिर, उसके बाप से टूटी-फूटी हिंदी में परिचय पूछा. उस वक्त  संतोष सिवन एक मलयाली फिल्म बना रहे थे. नाम था उस मलयाली फिल्म का 'उर्मि'.‌

 

'उर्मि' थी शाइली कृष्ण की पहली फिल्म

हिंदी में रोजा, गर्दिश, दरमियां, दिल से, फिजा, पुकार, अशोका और तहजीब जैसी फिल्मों में लाजवाब छायांकन करने वाले संतोष सिवन ने कुछ फिल्में भी डॉयरेक्ट की है, जिसमें एक मलयाली फिल्म 'उर्मि' भी है. 'उर्मि' फिल्म में शाइली कृष्ण एक गेस्ट एपीयरेंस में थीं. लेकिन शाइली कृष्ण की किस्मत ऐसी रंग लाई कि आज शाइली दक्षिण भारत की बड़ी मॉडल और अभिनेत्री दोनों हैं.

 

'लास्ट ऑवर' ने शाइली की किस्मत में लगाए चार चांद

आज शाइली कृष्ण के पास दक्षिण भारतीय फिल्मों की लाइन है. 14मई, 2021को ओटीटी प्लेटफार्म पर शाइली की एक फिल्म आई थीं 'लास्ट ऑवर'. इस सुपर नेचुरल फिल्म में शाइली कृष्ण खूबसूरत परी सिंह की भूमिका में थीं. ऑस्कर पुरस्कार विजेता आसिफ कपाड़िया इस ओटीटी फिल्म के प्रोड्यूसर थे और अमित कुमार ने 'लास्ट ऑवर' फिल्म को डायरेक्ट किया था.

आज अभिनेत्री शाइली कृष्ण के पास दक्षिण भाषा की कई फिल्में हैं. फिल्मकार संतोष सिवन की 'बरमूडा' और 'मोहा' नामक फिल्म भी है.‌ करोड़ों के बजट वाली इन फिल्मों के अलावा शाइली कृष्ण 'मॉडलिंग की दुनिया' में भी एक बड़ा नाम है कम से कम दक्षिण भारत में.