पत्रिकाओं से फिल्‍म के पोस्टर काटकर अपनी दीवार पर चिपकाती थीं सायरा बानो

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-09-2023
Saira Banu used to cut film posters from magazines and paste them on her wall.
Saira Banu used to cut film posters from magazines and paste them on her wall.

 

मुंबई.

वयोवृद्ध अभिनेत्री सायरा बानो ने मंगलवार को फोटो-शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम पर एक और पुरानी फोटो साझा की और बताया कि बचपन के दौरान, वह अभिनेत्री वैजयंतीमाला और अभिनेता दिलीप कुमार की प्रशंसक थी.

अनुभवी अभिनेत्री को फिल्म 'मधुमती' के एक पुराने फोटोशूट से पत्रिकाओं से पोस्टर काटकर और उन्हें अपनी दीवार पर चिपकाना याद है. फिल्म 'मधुमती' अपनी 65वीं वर्षगांठ मना रही है.

फिल्म में सायरा के पति दिलीप कुमार के अलावा वैजयंती माला हैं जिन्हें सायरा प्यार से 'अक्का' (बड़ी बहन) कहती हैं. तीन तस्वीरों का एक सेट साझा करते हुए सायरा बानो ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, "अक्सर बचपन और किशोरावस्था की यादें इतनी अजीब और गुदगुदी करने वाली होती हैं.

मुझे 1958 की वह विशेष चीज याद है, जब मैं एक युवा लड़की थी. पिछले कुछ वर्षों में मेरी पसंदीदा फिल्म स्टार वैजयंती माला के साथ मेरा जुड़ाव और मजबूत हो गया, जिसमें वह मेरे लिए अब 'अक्का' (बड़ी बहन) हैं, और हम हर दूसरे हफ्ते एक-दूसरे से बात करते हैं.''

उन्‍होंने कहा, ''मुझे अपने बिस्तर के ठीक बगल की दीवार पर अपने पसंदीदा हार्टथ्रोब की तस्वीरें चिपकाने की आदत थी, ताकि सबसे पहले मैं उन्हें देख सकूं.

ठीक एक साल पहले मैंने 'आन' में साहब का शानदार प्रदर्शन देखा था. जिसे लंदन में विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया था." अपने नोट में उन्होंने आगे लिखा, "उसके बाद रॉक के राजा एल्विस प्रेस्ली, रहस्यमय जेम्स डीन के कटआउट भी दीवार पर चिपकाए गए थे.

लंदन में हमारे घर के पास एक लेटर बॉक्स था जो मेरे भाई सुल्तान और मेरी उम्मीद भरी आंखों का तारा था क्योंकि हमारी मां और दोस्तों के पत्र भारत से आते थे.

घर की याद आने के कारण हम उनके लिए प्यासे रहते थे. मेरी मां को पता था कि मैं भारतीय फिल्मों की दीवानी हूं, इसलिए वह बीच-बीच में हमारे मनोरंजन के लिए पत्रिका पोस्ट करती रहती थी."

उन्होंने आगे उल्लेख किया कि यह उनके और उनके भाई के बीच एक पागलपन भरी हाथापाई थी कि पत्रिका पहले कौन लेगा. उन्होंने बताया कि ऐसी ही एक मैगजीन में "मधुमती" की यह तस्वीर थी, जिसे उस समय बोल्ड माना जाता था, जहां साहब रोमांटिक तरीके से वैजयंती माला के माथे पर अपना चेहरा रख रहे थे.

यह एक खूबसूरत तस्वीर थी और मेरे बचपने में मुझे इससे बहुत जलन हुई. साहब उसके चेहरे के इतने करीब थे कि मैंने कैंची उठा ली और चतुराई से तस्वीर के उस हिस्से को काटना शुरू कर दिया.

जरा सोचिए. जब मैं यह याद करती हूं तो हंसी से लोटपोट हो जाती हूं.