इंदौर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें हिंदी फिल्म ‘हक’ की 7 नवंबर (शुक्रवार) को रिलीज़ पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी। यह फिल्म 1980 के दशक के प्रसिद्ध शाहबानो केस से प्रेरित बताई जा रही है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।
याचिका शाहबानो बेगम की बेटी, सिद्दीक़ा बेगम खान ने इंदौर बेंच में दाखिल की थी। शाहबानो अपनी बहादुर कानूनी लड़ाई के लिए जानी जाती हैं, जिन्होंने तलाक के बाद अपने पति से भरण-पोषण की मांग की और यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट तक गया।
याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म, जिसमें यामी गौतम धर और इमरान हाशमी मुख्य भूमिकाओं में हैं, उनके परिवार की अनुमति के बिना बनाई गई है और उनकी दिवंगत माँ के निजी जीवन की घटनाओं को गलत तरीके से दिखाती है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रणय वर्मा की अदालत में खान के वकील तौसीफ़ वारसी ने फिल्म के टीज़र और ट्रेलर का हवाला देते हुए तर्क दिया कि फिल्म शाहबानो की छवि को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करती है।
वहीं फिल्म से जुड़ी कंपनियों के वकीलों ने इस तर्क को खारिज करते हुए अदालत से याचिका को रद्द करने का आग्रह किया।
याचिका में प्रतिवादी के रूप में केंद्र सरकार, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC), फिल्म ‘हक’ के निर्देशक सुपर्ण एस. वर्मा और तीन प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया गया है।
शाहबानो, जो इंदौर की निवासी थीं, ने 1978 में अपने वकील-पति मोहम्मद अहमद खान से तलाक के बाद भरण-पोषण की मांग करने के लिए स्थानीय अदालत में मामला दर्ज किया। लंबे कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में उनका पक्ष लिया और फैसला सुनाया कि मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक के बाद भरण-पोषण का अधिकार है।
हालांकि, मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद राजीव गांधी सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम लागू किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया।
शाहबानो का निधन 1992 में हो गया।