मदरसा पाठ्यक्रम पर कार्यशाला आयोजित

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-08-2021
मदरसा पाठ्यक्रम पर कार्यशाला
मदरसा पाठ्यक्रम पर कार्यशाला

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, भारत के जमात-ए-इस्लामी ने ‘धार्मिक मदरसों के पाठ्यक्रम, नियम और चरणों’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया.

जमात-ए-इस्लामी इंडिया के अमीर सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने इस मौके पर कहा कि यह जीवन भर सीखने का युग है. जिसने नया हुनर हासिल करना छोड़ दिया, वह पिछड़ गया.

मदरसों के पाठ्यक्रम पर कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी इंडिया द्वारा किया गया था.

इसमें दारुल उलूम नदवत उलेमा, दारुल उलूम देवबंद (वक्फ), ईशातुल उलूम अकाल कावा, जमीयत-उल-फलाह, दारुल सलाम उमराबाद और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के अलावा देश भर के विभिन्न राज्यों और संस्थानों के विद्वानों ने भाग लिया.

विद्वानों में अब्दुल बारात्री फलाही बॉम्बे, वारिस मजहारी दिल्ली, शाकिब कासमी देवबंद, अहमद इलियास नोमानी लखनऊ, तारिक अयूबी अलीगढ़, उमर आबिदीन हैदराबाद, मुहम्मद हुजैफा वस्तानवी गुजरात, महफूज फलाही भोपाल और प्रो. इशाक फलाही और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल थे.

आमिर जमात ने आगे कहा कि आज के माहौल में उलेमाओं की बड़ी जिम्मेदारी है. अब पूरी दुनिया आपको मोहल्ले से, इलाके से संबोधित कर रही है. इस्लाम का पैगाम सारी इंसानियत को देना है.

उन्होंने कहा कि यह काम सिर्फ अंग्रेजी सीखने से नहीं होगा. प्राप्तकर्ता के विचारों, उनकी स्थिति और डेटा, उनके मनोविज्ञान, उनकी संस्कृति, उनके व्यवहार और नैतिकता को समझने के बाद यह कार्य करना संभव होगा. हमारे पास विभिन्न स्वभाव, क्षमताओं और प्रतिभा वाले छात्र हैं. यह हमारा काम है कि हम सभी को उनकी क्षमताओं, मानसिकता और क्षमताओं के अनुसार मार्गदर्शन और विकास करें.

कार्यशाला में मदरसा पाठ्यक्रम के संशोधन और आधुनिक विज्ञान को शामिल करने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया. इस्लामी स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों को पाठ्य तरीके से तैयार करना.

शिक्षकों का तकनीकी और तकनीकी प्रशिक्षण, न्यायशास्त्र और धर्मशास्त्र में विस्तार, लक्ष्य माप का प्रारूप छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ राष्ट्रीय प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाने, मौजूदा पाठ्यक्रम में अनुपयोगी घटकों और छात्रों के बीच चर्चा और शोध का मूड बनाने के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया गया.

कार्यशाला को डिप्टी अमीर जमात प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने भी संबोधित किया.

उन्होंने सुझाव दिया कि मदरसों को शिक्षा के कुछ आधुनिक तरीकों से लाभ उठाना चाहिए.इस अवसर पर निदेशक केंद्रीय शिक्षा बोर्ड सैयद तनवीर अहमद ने पाठ्यक्रम विकास के सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए.