पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने शिक्षा का जो पौधा लगाया अब ‘ अंजुमन ए इस्लाम ’ की शक्ल में पेड़ बन चुका है

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-11-2023
The tree of education planted by five Muslim intellectuals 150 years ago has now become a tree in the shape of 'Anjuman-e-Islam'.
The tree of education planted by five Muslim intellectuals 150 years ago has now become a tree in the shape of 'Anjuman-e-Islam'.

 

छाया काविरे / मुंबई

आज से लगभग 150साल पहले मुंबई के कुछ प्रगतिशील मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मिलकर 'अंजुमन-ए-इस्लाम' उर्दू स्कूल की स्थापना की. 'अंजुमन' की स्थापना 'अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी' (एएमयू) की स्थापना से एक साल पहले हुई थी. मुस्लिम समुदाय को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के मकसद से 'अंजुमन' की स्थापना का निर्णय समाज के कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा लिया गया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर बदरुद्दीन तैयबजी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीसरे अध्यक्ष कमरुद्दीन तैयबजी, उनके बड़े भाई और पेशे से वकील नाखुश मोहम्मद अली रोगे, व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता गुलाम मोहम्मद मुंशी, की पहल पर तत्कालीन बॉम्बे प्रांत में उमरखाड़ी के पास बाबुला टैंक में एक छोटी सी जगह में अंजुमन-ए-इस्लाम की स्थापना की गई.

1893 में 'अंजुमन-ए-इस्लाम' को विक्टोरिया टर्मिनल्स (वर्तमान में 'छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस') के सामने बनी एक इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया. अभी भी ‘अंजुमन’ वहीं से संचालित होता है.'अंजुमन' में पढ़ने के लिए आने वाले छात्रों के लिए उस समय कई सुविधाएं मुहय्या की गयी थी.

 انجمن اسلام:97تعلیمی اداروں کی کہکشاں

छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा तो थी ही, 'अंजुमन' की खास बात यह थी कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को यहाँ मध्याह्न भोजन दिया जाता था. जिसमे उबले अंडे, ब्रेड और केले शामिल थे. गरीब छात्रों को इस प्रकार की सुविधा देनेवाला शायद ये देश का पहिला संस्थान था.

'अंजुमन' स्कूल शुरू में 'केवल लड़कों के लिए' था. आगे चलकर शिक्षा में लड़कियों की संख्या भी बढ़ाने के लिए संस्थाने नयी पहल की और 1936में बेलासिस रोड पर 'सैफ तैय्यबजी गर्ल्स हाई स्कूल' नाम से लड़कियों के लिए एक स्कूल शुरू किया गया.

तीन शिक्षक और 120 छात्रों के साथ 21फरवरी 1874 में शुरू हुआ यह स्कूल अब 97 संस्थानों में तब्दील हो गया है. ‘अंजुमन’ में आज लगभग एक लाख 10हजार से ज्यादा छात्र पढ़ रहे हैं. यहां नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा प्रदान की जाती है.सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करनेवाले 70 प्रतिशत छात्र अपने खानदान से पहले है जो पढ़ रहे है.

अंजुमन-ए-इस्लाम ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई. `अंजुमन' के मोइनुद्दीन हैरिस और मुस्तफा फकीह सहित कई लोगों को आजादी के संग्राम में कारावास की सजा हुई. स्वतंत्रता संग्राम के लिए कई नीतिगत बैठकें ``अंजुमन'' के परिसर में आयोजित की जाती थी. राष्ट्र निर्माण में 'अंजुमन' का एक लंबा इतिहास रहा है.

`अंजुमन' का बीज जहां बोया गया था. आज उसी जगह संस्था का मुख्य प्रशासनिक कार्यालय स्थित है. संस्थान के तीन एकड़ परिसर में पांच कॉलेज - दो कैटरिंग कॉलेज, एक बिजनेस-मैनेजमेंट कॉलेज, एक होम साइंस कॉलेज और एक लॉ कॉलेज - स्थापित किए गए हैं.

इसके अलावा, महिलाओं के लिए एक पॉलिटेक्निक, एक जूनियर कॉलेज, अंग्रेजी और उर्दू दोनों माध्यम के दो स्कूल हैं. इस परिसर में एक बड़ा पुस्तकालय और एक रिसर्च सेंटर भी है.

‘अंजुमन’की स्थापना और उसके ऊंचाई तक ले जाने में सर करीम भाई इब्राहिम, हाजी यूसुफ हाजी इस्माइल सोबानी, न्यायमूर्ति ए. एम. क़ाज़ी, जस्टिस फ़ैज़ बी. तैयबजी, सरदार सर सुलेमान कुलसुम मीठा, हुसैन बी. तैयबजी, उस्मान सोबानी, मोहम्मद हाजी अहमद, ए. इ. मस्कती, हादी सी. तैयबजी, सैफ एफ. बी. तैयबजी, अकबर ए. पीरभोय, ए. क. हाफ़िज़, ए. आर. अंतुले, मोइनुद्दीन हैरिस, डॉ. एम. इसहाक जामखानवाला, सामी खतीब जैसे विभूतियों ने विशेष प्रयास किये. वर्तमान में बतौर अध्यक्ष डॉ. जहीर काझी ‘अंजुमन’ की बागडोर संभाल रहे है.

`अंजुमन' के दो मुख्य उद्देश्य हैं, पहला - 'न्यूनतम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना' और दूसरा - 'पैसे की कमी के कारण कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित होने से रोकना'.`अंजुमन' में लगभग 50प्रतिशत से अधिक छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं.

यह छात्र बिना किसी वित्तीय कठिनाइयों के अपनी शिक्षा पूरी कर सके इसलिए 'अंजुमन' ने एक 'विशेष ज़कात कोष' तयार किया है. इसकी मदद से इन विद्यार्थियों को शिक्षा शुल्क में 50से 100प्रतिशत तक की छूट दी जाती है.

'दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है', मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के संदेश को ध्यान में रखकर संस्था यह काम करती आ रही है. `अंजुमन' में छात्राओं का अनुपात 40प्रतिशत से अधिक है. अध्यापकों में यहाँ अधिकांश महिलाएं ही हैं.

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आज संस्था में इंजीनियरिंग, मेडिसिन, आर्किटेक्चर, फार्मेसी, हॉस्पिटैलिटी, कैटरिंग और होटल-मैनेजमेंट, लॉ, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, होम साइंस, टीचर ट्रेनिंग जैसे कई कोर्स शामिल हैं. संस्था के सुचारू रूप से चले इसलिए यहाँ 3000 कर्मचारी काम करते रहे हैं.

वर्ष 2000 में, `अंजुमन' को उनकी शैक्षिक और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा 'महाराष्ट्र में सर्वश्रेष्ठ शैक्षिक और सामाजिक संस्थान' के रूप में सम्मानित किया गया था. हाल में संस्था को अलीगढ़ युनिवर्सिटी के ‘सर सय्यद अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस’से नवाज़ा गया है.

`अंजुमन' के पूर्व छात्र आज कई देशों में व्यवसाय, प्रौद्योगिकी, कला, खेल, मीडिया, चिकित्सा विज्ञान, राजनीति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं. फॉर्च्यून कंपनी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष एम. एक. पठान, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ए. आर. अंतुले, मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार, `मर्चेंट ऑफ मर्चेंट आइवरी प्रोडक्शन' के इस्माइल मर्चेंट, `इलस्ट्रेटेड वीकली' की पूर्व उप संपादक फातिमा जकारिया, `मुंबई मिरर' और `संडे टाइम्स' की पूर्व संपादक फरीदा नाइक और प्रसिद्ध क्रिकेटर सलीम दुर्रानी, गुलाम पारकर, वसीम जाफर, एमपी माजिद मेमन जैसी महत्वपूर्ण हस्तियां 'अंजुमन' के पूर्व छात्र रहे हैं.

जनता की शैक्षिक आवश्यकताओं को पहचानते हुए, 'अंजुमन' ने कई महत्वाकांक्षी योजनाएं तैयार की हैं. इसकी जानकारी देते हुए 'अंजुमन' के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जहीर काजी बताते है, "हम भायखला में साबू सिद्दीकी कॉलेज परिसर में एक अत्याधुनिक इमारत का निर्माण कर रहे हैं.

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वहां एक इन्क्यूबेशन सेंटर के साथ पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे. इसके अलावा, एक एकीकृत केंद्र भी होगा." इसके अलावा कल्याण-भिवंडी या पंचगनी में स्वास्थ्य शिक्षा कॅम्पस बनाया जाएगा, जिसमें एमबीबीएस पाठ्यक्रम, डेंटल कॉलेज, कॉलेज ऑफ नर्सिंग, फिजियोथेरेपी और होमिओपॅथिक शुरू किए जाएंगे.

सोलापूर परिसर में फार्मेसी, लॉ कॉलेज, लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज और हाई स्कूल शुरू किए जाएंगे. साथ ही गोवा के पणजी में केटरिंग, फार्मेसी और हाई स्कूल-कॉलेज के लिए भूमि अधिग्रहण अंतिम चरण में है."

‘अंजुमन’के बारे में और जानकारी देते हुए डॉ. काजी ने कहा, “'अंजुमन-ए-इस्लाम' ने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में एमआईटी विश्वविद्यालय और इसके पांच संकायों इंजीनियरिंग, मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए), फार्मेसी और प्राथमिक शिक्षा के साथ समझौता किया है.

इसके अलावा, अंजुमन-ए-इस्लाम के साथ सहयोग के लिए' कालसेकर स्कूल ऑफ फार्मेसी' (पनवेल) 'मैरीलैंड स्कूल ऑफ फार्मेसी' बाल्टीमोर, (वाशिंगटन डीसी) से संपर्क किया गया है. फिलाडेल्फिया की 'टेम्पल यूनिवर्सिटी'ने सहयोग हेतु ‘अंजुमन-ए-इस्लाम' के ‘ए. आर. अंतुले कॉलेज ऑफ लॉ’ से भी संपर्क किया गया है."

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'अंजुमन-ए-इस्लाम' का विस्तार

`अंजुमन' में स्कूलों और कॉलेजों सहित  97शैक्षणिक संस्थाएं  है. इनमें प्री-प्राइमरी स्कूल (15), प्राइमरी स्कूल (15), सेकेंडरी स्कूल (20), जूनियर कॉलेज (10), पॉलिटेक्निक (4), डिग्री कॉलेज (15), अन्य संस्थान (10), प्रस्तावित संस्थान (2), छात्रावास, सभागार (3), सहारा इकाइयाँ (2) और अनाथालय (2) शामिल हैं.

सामाजिक कार्य और गतिविधियाँ :


  1. ·      कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर अनाथ बच्चों की देखभाल की जाती है.  उन्हें पढाया जाता है. वयस्क होने पर उनकी शादी भी करवाई जाती है.
  2. ·      दान एकत्र करके जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शिक्षा और रियायती शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके लिए  माहिम और मुंब्रा में ‘अंजुमन’की दो शाखाएं कार्यरत है।
  3. ·      निराश्रित महिलाओं की सहायता के लिए संस्था द्वारा 'सहारा' कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  4. ·      लड़कियों के लिए मुंबई के वर्सोवा और पुणे के बंडगार्डन में दो अनाथालय चलाये जाते है।
  5. ·      पुनर्वास एवं परामर्श के लिए संस्था का अलग विभाग कार्यरत है।
  6. ·     ‘अंजुमन’ एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में भी कार्य कर रही है.

इन सभी गतिविधियों के लिए 'ज़कात'* और अंतर-संस्थागत दान के माध्यम से पैसे जुटाए जाते है.