अलीगढ़,
Aligarh Muslim University (एएमयू) ने अपने प्रतिष्ठित पूर्व छात्र और Jamia Millia Islamia के पूर्व कुलपति Shahid Mehdi के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनके असामयिक निधन को शिक्षा, प्रशासन और बौद्धिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया गया है।
शाहिद मेहदी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की थी। एएमयू में प्राप्त यह शैक्षणिक आधार उनके पूरे जीवन में शिक्षा, प्रशासन, संस्कृति और सार्वजनिक नीति से जुड़े गहन सरोकारों का मार्गदर्शक बना। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1963 बैच के अधिकारी थे और उन्होंने देश-विदेश में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदों पर सेवाएं दीं। उनकी प्रशासनिक सूझबूझ और वैचारिक गहराई के लिए उन्हें व्यापक सम्मान मिला।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति के रूप में शाहिद मेहदी को उनके सिद्धांतवादी नेतृत्व, संस्थागत स्वायत्तता के प्रति प्रतिबद्धता और विश्वविद्यालय को संवाद, समावेशन तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के केंद्र के रूप में देखने की दृष्टि के लिए जाना जाता है। वे मानते थे कि विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने का स्थान नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाला नैतिक मंच होना चाहिए।
विश्वविद्यालय प्रशासन के अलावा वे शिक्षा, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, पर्यावरण, कृषि और ग्रामीण विकास के विशेषज्ञ माने जाते थे। उनकी रुचि उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेज़ी साहित्य, तुलनात्मक साहित्य तथा ललित कलाओं तक फैली हुई थी, जो उन्हें एक दुर्लभ सांस्कृतिक बौद्धिक व्यक्तित्व बनाती है।
एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शाहिद मेहदी का जीवन शिक्षा और लोकसेवा के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक था और उनकी सोच आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। वहीं, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. एम. मोहसिन खान ने कहा कि उनका निधन अलीगढ़ बिरादरी के लिए गहरी क्षति है।
एएमयू समुदाय ने शोक संतप्त परिवार, सहयोगियों, छात्रों और प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शाहिद मेहदी की बौद्धिक विरासत सदैव जीवित रहेगी।






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